बस्ती।कृषि विज्ञान केन्द्र, बंजरिया पर वेरोजगार नवयुवतियों को गावं स्तर पर स्वरोजगार सृजन के उद्देश्य से ‘‘मोटे अनाज (श्री अन्न)- टिकाऊ खेती, मूल्य संवर्धन, उधमिता विकास एवं पोषण सुरक्षा के लिए माडल फसलें’’ विषय पर 21 दिवसीय रोजगारपरक प्रशिक्षण आयोजित किया गया। प्रशिक्षण के अंतिम दिन केन्द्राध्यक्ष डा. एस. एन. सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा है कि गावं स्तर पर वेरोजगार नवयुवकों एवं नवयुवतियों को रोजगार उपलब्ध करायें जाए जिससे उनके शहरों की ओर बढ रहे पलायन को रोका जा सके। इसी उद्देश्य के तहत आप लोग मोटे अनाज (मडुवा, सांवा, बाजरा, कोंदो, ज्वार आदि) से उत्पाद निर्मित कर आमदनी में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं तथा उचित पोषण भी प्राप्त कर सकते हैं |
साथ ही साथ मोटे अनाजों की खेती तकनीक की विस्तार से चर्चा की। कोर्स की कोऑर्डिनेटर एवं गृह विज्ञान वैज्ञानिक डॉ. अंजलि वर्मा ने अवगत कराया कि मोटे अनाजों को सुपर फूड या न्यूट्री-सीरियल्स के रूप में जाना जाता है क्योकिं ये पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं| मोटे अनाज अम्ल-रहित, ग्लूटेन मुक्त और आहार गुणों से युक्त होते हैं। इसके अलावा, बच्चों और किशोरों में कुपोषण खत्म करने में मोटे अनाज का सेवन काफी मददगार होता है। मोटे अनाज में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) होता है और यह मधुमेह की रोकथाम से भी मददगार होता है। मोटे अनाज वजन कम करने और उच्च रक्तचाप में मददगार होते हैं। इसके अलावा मोटे अनाज देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा में बड़े पैमाने पर योगदान करते हैं।
केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक पशुपालन डॉक्टर डी.के. श्रीवास्तव ने अपने संबोधन के दौरान प्रशिक्षार्थियों को पैकेजिंग और विपणन तकनीक के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर वैज्ञानिक डा.वी.बी.सिंह, डा.प्रेम शंकर, श्री हरिओम मिश्र के साथ केन्द्र के अन्य कर्मचारी भी उपस्थित रहें।