फतेहपुर : भागवत कथा के अंतिम दिन कार्यक्रम में पहुंचे शंकराचार्य 

फतेहपुर । अमौली विकासखंड के कुलखेड़ा के होलिकादहन मैदान के समीप प्रांगण में चल रही श्रीमद भागवत कथा रसपान यज्ञ के सातवें दिवस में प्रख्यात कथावाचक वृंदावन के आचार्य मिथिलेश दास महाराज ने परीक्षित सन्नो दीक्षित एवम राजेंद्र दीक्षित के साथ वैदिक रीति रिवाज के साथ पूजन कर कथा का प्रारंभ किया। उन्होंने उन्होंने प्रभु श्री कृष्ण के 16108 शादियों के प्रसंग के साथ, सुदामा प्रसंगऔर परीक्षित मोक्ष की कथाएं सुनाई।

इन कथाओं को सुनकर सभी भक्ति भाव विभोर हो गए। उन्होंने भक्तों को भागवत को अपने जीवन में उतारने की बात कही, जिससे सभी लोग धर्म की ओर अग्रसर हो। उन्होंने सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के समक्ष भक्त और भगवान तथा दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया।उन्होंने बताया कि श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करने मात्र से जीव का उद्धार हो जाता है और करने वाले भी पूर्ण के भागी होते है। आज समापन दिवस पर काशी सुमेरु पीठ के शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज के आगमन में आयोजकों सहित भक्तों ने उनका भव्य स्वागत किया।

आयोजक मंडल के परीक्षित राजेंद्र दीक्षित एवं शिक्षक उमेश त्रिवेदी ने अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर शंकराचार्य को सम्मानित कर आशीर्वाद लिया। शंकराचार्य ने उपस्थित भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि यह सनातन के अभ्युदय का युग है। 500 वर्षों के तपस्या, संघर्ष के बाद आज प्रभु श्री राम अपने पूर्ण वैभव के साथ अयोध्या में स्थापित हुए हैं। राम हमारे ऊर्जा, मान सम्मान, स्वाभिमान और भगवान है। सीमा पर तैनात सैनिकों के राष्ट्र रक्षा के संकल्प को अप्रतिम बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक सैनिक के हृदय में गीता उपदेश अंकित होता है। कर्म ज्ञान और उपासना की त्रिवेणी के रूप में भगवत गीता है।उन्होंने आधुनिक युग में बेटियों को और भी अधिक सशक्त बनाने की बात कही और कहा कि संस्कारों के साथ-साथ उन्हें हथियारों की भी शिक्षा अवश्य देनी चाहिए।

जिससे समय आने पर वह अपने स्त्री धर्म की रक्षा कर सकें। आयोजक मंडल के उमेश कुमार त्रिवेदी ने बताया कि 18 तारीख को विशाल भंडारे का आयोजन किया गया है जिसमें क्षेत्र सभी गणमान्य लोगों के साथ आम जनमानस उपस्थित रहेगा। इस मौके पर शिवगोपाल तिवारी, ब्रजेंद्र तिवारी, राम किशोर दीक्षित, हरि किशोर दीक्षित, रिभु मिश्रा, कैलाश नाथ दीक्षित, श्याम दीक्षित, सुनील मिश्रा, सुरेश दीक्षित, अम्बिका बाजपेई, सत्यनारायण शुक्ला ,जितेन्द्र तिवारी, दिनेश तिवारी, सर्वेश तिवारी, बउवा सिंह, पप्पू तिवारी, प्रेमपियुष मिश्र, उमेश दीक्षित, ललित दीक्षित, सुनील मिश्रा, शिवम, प्रशांत, बबलू, पंकज दीक्षित, मयंक पांडेय, प्रखर दीक्षित, रूपा देवी, पुष्पा देवी, सरोजनी देवी, त्रिवेणी दीक्षित, रीता दीक्षित, सुहानी, आनंदी, देवांशी, नैना, छवि, राधिका सहित सैंकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे।

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