पीलीभीत। किसानों के नाम की आड़ लेकर जिले भर में प्रतिबंधित धान लगाने की तैयारियां जोरों पर हैं और राजस्व अधिकारियों से लेकर कृषि विभाग के अधिकारी मौन धारण कर चुके हैं। फार्मर्स सैकड़ों एकड़ जमीन पर प्रतिबंधित धान लगाने साठा की पौध तैयार कर रहे है। विगत वर्षों से पड़ोसी जनपदों के अलावा पीलीभीत में भी साठा धान लगाने पर प्रबंध रहा है।
जिलेभर में चैनी धान लगाने को हजारों एकड़ जमीन तैयार हो रही है। पूर्व में भूजल संरक्षण को लेकर प्रतिबंधित धान लगाने पर तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट ने रोक लगाई थी। प्रतिबंधित धान की खेती में भूजल का दोहन होने के साथ ही अत्यधिक जहरीली दवाओं का प्रयोग किया जाता है। भूजल का दोहन होने पर चैनी धान पर प्रतिबंध लगाया गया था। धान की खेती उस समय की जाती है जब सिंचाई के लिए बरसात का पानी नहीं बल्कि भूजल का प्रयोग होता है। करीब दो माह के अंतराल में भूजल दोहन के साथ ही जहरीली स्प्रे और अत्यधिक खाद के प्रयोग से धान तैयार होता है।
इंसेट –
सरकार नहीं खरीदती है प्रतिबंधित धान
धान की फसल खरीदने के लिए सरकार ना तो कोई क्रय केंद्र आवंटित करती है और ना ही किसानों को प्रोत्साहन मिलता है। खुले बाजार में धान की कीमत करीब 1000 प्रति कुंतल से लेकर 1500 तक पहुंचती है। लेकिन कम समय में तैयार होने की वजह से फार्मर्स इस फसल को बढ़ावा देते आए हैं।
इंसेट –
धान लगा तो पैदा होगी पराली की समस्या
प्रतिबंधित धान की खेती होने से एक बार फिर जिले में पराली की समस्या पैदा हो जाएगी और राजस्व अधिकारियों से लेकर कृषि अधिकारियों को पराली प्रबंधन के लिए दौड़ना पड़ेगा। दो माह के अंतराल में धान कटाई के साथ पराली जलाने की घटनाएं भी तेज हो जाएगी और उस समय अधिकारियों को यह अनदेखी भारी पड़ सकती है।
इंसेट बयान – संजय कुमार सिंह जिलाधिकारी पीलीभीत।
अगर ऐसा है तो जांच कराई जाएगी और पूर्व में प्रतिबंध लगा है तो इस बार भी रोक लगाएंगे।