भारत की तरह बिट्रेन में भी होते है चुनाव… लेकिन चारों देशों के नागरिक करते हैं मतदान

लंदन  । ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक समय के पहले चुनाव का ऐलान किया है। वैसे कंजरवेटिव सरकार का कार्यकाल 17 दिसंबर 2024 में खत्म हो रहा था और जनवरी 2025 में चुनाव होने थे लेकिन अब 06 महीने पहले 4 जुलाई में चुनाव कराए जा रहे हैं। कंजरवेटिव की सरकार 14 सालों से ब्रिटेन में सत्ता में है, हालांकि तमाम सर्वेक्षण बता रहे हैं कि अबकी बार उनकी हालत नाजुक है। लेबर पार्टी को बढ़त है। ब्रिटेन का चुनाव आमतौर पर भारत के चुनावों की तरह ही होता है।


ब्रिटेन की संसद के दो सदन हैं लेकिन इसके तीन भाग होते हैं। संप्रभु , हाउस ऑफ लॉर्ड्स और हाउस ऑफ कामंस है। कानून बनाने के लिए एक साथ काम करने वाले इन तीन भागों को किंग-इन-पार्लियामेंट कहा जाता है। हाउस ऑफ कामंस संसद का निर्वाचित निचला सदन है, जिसमें 650 सीटों के लिए हर पांच साल पर चुनाव होता हैं। संवैधानिक परंपरा के अनुसार , प्रधानमंत्री सहित सभी सरकारी मंत्री हाउस ऑफ कामंस या हाउस ऑफ लॉर्ड्स (हालांकि ये कम होता है) के सदस्य रहते हैं। अधिकांश कैबिनेट मंत्री कामंस से होते हैं, जबकि जूनियर मंत्री किसी भी सदन से हो सकते हैं। हाउस ऑफ लॉर्ड्स संसद का ऊपरी सदन है। इसमें दो प्रकार के सदस्य होते हैं, सबसे अधिक संख्या में लॉर्ड्स टेम्पोरल हैं, जिसमें मुख्य रूप से प्रधानमंत्री की सलाह पर संप्रभु द्वारा नियुक्त आजीवन सदस्य शामिल हैं, इसमें वंशानुगत राजपरिवार से जुड़े 92 सदस्य होते हैं। इसमें चर्च ऑफ इंग्लैंड के 26 बिशप भी शामिल होते हैं। यूनाइटेड किंगडम की संसद दुनिया की सबसे पुरानी विधायिका है। दुनियाभर की संसद इससे प्रभावित रही हैं। इसकारण संसद की मां भी कहा जाता है।


भारत की तरह ब्रिटेन में भी चुनावों में कई पार्टियां शिरकत करती हैं। हालांकि 100 सालों के दौरान मुख्य मुकाबला कंजरवेटिव पार्टी और लेबर पार्टी में ही होता रहा है। लेकिन इसके अलावा भी सदन में कई पार्टियां हैं। जिनके पास एक से ज्यादा सीटें हैं। हालांकि मौजूदा सदन में लेबर और कंजरवेटिव के बाद तीसरी बड़ी पार्टी स्काटिश नेशनल पार्टी है, जिसके हाउस ऑफ कामंस में 43 सदस्य हैं। ब्रिटेन में दर्जन भर से ज्यादा छोटी बड़ी पार्टियां हैं। कुल मिलाकर 650 सीटों के लिए चुनाव होता हैं। जिस पार्टी के पास 326 सीटें होती हैं, वो दल बहुमत में होता है और सरकार बनाता है। भारत की तरह यहां भी वोटर एक वोट देता है और अपने निर्वाचन क्षेत्र में वोटिंग में हिस्सा लेता है। ब्रिटेन में चुनावों का मतलब है इंग्लैंड, वेल्स, स्काटलैंड और उत्तरी आयरलैंड के संगठन का चुनाव, क्योंकि ग्रेट ब्रिटेन इन चारों देशों का प्रतिनिधित्व करता है। इंग्लैंड में इस चुनाव के लिए 543 सीटें हैं, तब स्काटलैंड में 57, वेल्स में 32 और उत्तरी आयरलैंड में 18 सीटें निर्धारित है।


ब्रिटेन में वोट बैलेट बॉक्स में डाले जाते हैं। यहां ईवीएम का इस्तेमाल नहीं होता है, और ना ही भविष्य में ऐसा करने का कोई इरादा नजर आता है।
ब्रिटेन में मौजूदा चुनावों में करीब 05 करोड़ मतदाता हिस्सा लेने वाले हैं। चुनाव में वोटिंग सुबह 07 बजे शुरू होती है और रात में 10.00 बजे तक चलती है। इसके तुरंत बाद ही काउंटिंग का काम भी शुरू हो जाता है। बहुत सी जगहों के परिणाम रात में ही आ जाते हैं। यहां वोट देने के लिए 18 वर्ष का होना जरूरी है। वोट देने वाले को ब्रिटिश नागरिक या आयरलैंड का नागरिक होना चाहिए। यहां पर जेल में सजा काट रहे कैदियों और हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्यों को वोट देने का अधिकार नहीं होता।

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