अति रूढ़िवादी यहूदियों को भी इजरायली सेना में देनी होंगी सेवाएं, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भड़के कट्टर यहूदी, सड़कों पर उतरे

तेल अवीव । इजरायल में कट्टरपंथी यहूदी भड़क गए हैं और वे सड़कों पर उतर आए हैं। वजह है इजरायल की सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अब अति रूढ़िवादी यहूदियों को भी सामान्य यहूदियों की तरह सेना में सेवाएं देनी होंगी। इसके अलावा सरकार की तरफ से मिलने वाली विशेष सुविधाएं उन्हें नहीं दी जाएंगी। अब तक कट्टर यहूदियों के लिए सेना में सेवा देना अनिवार्य नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि युवा हरेदी पुरुषों को भी सेना में भर्ती किया जाना चाहिए। अब येशिवा में पढ़ने वाले युवा इस फैसले के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि इससे उनके धार्मिक जीवन पर असर पड़ेगा और वे धर्म का पालन नहीं कर सकेंगे। उनका आध्यात्मिक जीवन और पूजा-पाठ इजरायल की सुरक्षा के लिए जरूरी है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक युवाओं को इस बात पर ऐतराज है कि अगर उन्हें सेना में जाना पड़ा तो उनको धार्मिक भक्ति के रास्ता छोड़ना होगा। ऐसे में उनकी आस्था कमजोर हो जाएगी जो कि देश के लिए खतरनाक साबित होगी। इजरायली सेना को भी उनकी कोई जरूरत नहीं है। कट्टर यहूदी मानते हैं कि उनके धर्म को बचाए रखने के लिए जरूरी है कि वे लोग धर्म का पालन करें। इजरायल में अति-रूढ़िवादी लोगों की संख्या 10 लाख से ज्यादा है। यह इजरायल की जनसंख्या के 12 फीसदी है। अति रूढ़िवादी दलों का सत्ता में भी दखल रहता है। लंबे समय से ये दल प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का साथ हैं। कट्टर यहूदियों को टैक्स में भी छूट दी जाती है। वहीं सामान्य यहूदी सेना में जाते हैं और टैक्स का भी भुगतान करते हैं। पहले भी इजरायल की संसद में एक विधेयक पारित हुआ था जिसके मुताबिक हरेदी युवाओं को आंशिक रूप से सेना में देने को कहा गया था। हालांकि यह कानून अब तक लागू नहीं हुआ है। इस कानून का हरेदी नेता विरोध करते हैं।

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