नई दिल्ली । हमारे शरीर में प्लेटलेट्स की मात्रा कम होने पर व्यक्ति को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। प्लेटलेट्स ऐसी ब्लड सेल्स होती हैं जो ब्लीडिंग को रोकने में मदद करती हैं। प्लेटलेट्स हमारे शरीर में ब्लड क्लॉट्स बनाने का काम करते हैं ताकि चोट लगने पर ज्यादा खून को निकलने से रोका जा सके। शरीर मे प्लेटलेट्स की संख्या कम होने पर व्यक्ति को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया नामक बीमारी का सामना करना पड़ सकता है।
आइए जानते हैं इन नेचुरल तरीकों के बारे में-प्लेटलेट्स कलरलैस ब्लड सेल्स होते हैं जो ब्लड क्लॉटिंग के लिए अहम भूमिका निभाते हैं।जब किसी व्यक्ति को चोट लगती है तो यह ब्लड सेल्स आपस में मिल जाते हैं और खून को बहने से रोकते हैं।नेशनल हार्ट, लंग और ब्लड इंस्टिट्यूट के मुताबिक, एडल्ट्स के खून में प्लेटलेट्स की रेंज 150,000 से 450,000 प्लेटलेट्स प्रति माइक्रोलीटर होती है।जब किसी व्यक्ति के खून में प्लेटलेट्स काउंट 150,000 प्रति माइक्रोलीटर से घट जाता है तो इसे लो प्लेटलेट्स कहा जाता है.लो प्लेटलेट्स के लक्षण की बात करें तो नाक से खून आना, मसूड़ों से खून आना, यूरिन में खून का आना, मल में खून दिखना, पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना स्किन पर नीले-भूरे रंग के धब्बे आदि। प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने के लिए कुछ विटामिन्स और मिनरल्स को डाइट में शआमिल करने से प्लेटलेट्स काउंट को बढ़ाया जा सकता है।फोलेट युक्त फूड्स- हेल्दी ब्लड सेल्स के लिए फोलेट या विटामिन बी 9 काफी जरूरी माना जाता है।नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक, एक एडल्ट को रोजाना 400 माइक्रोग्राम फोलेट की जरूरत होती है वहीं, एक गर्भवती महिला को एक दिन में 600 माइक्रोग्राम फोलेट की जरूरत होती है।
इन चीजों में पाया जाता है फोलेट और फोलिक एसिड – बीफ लिवर, हरी पत्तेदार सब्जियां, लोबिया, चावल और यीस्ट.नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक, 14 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों को रोजाना 2.4 माइक्रोग्राम विटामिन बी12 की जरूरत होती है।वहीं प्रेग्नेंट महिला और दूध पिलाने वाली मां को एक दिन में 2.8 माइक्रोग्राम विटामिन बी12 की जरूरत होती है। विटामिन बी12 की बात करें तो बीफ और बीफ लीवर, अंडे और टूना, सैल्मन और ट्राउट मछली में पाया जाता हैं।इसके अलावा वेजिटेरियन लोगों के शरीर में विटामिन बी12 की कमी को पूरा करने के लिए अनाज, बादाम मिल्क और सोया मिल्क और सप्लीमेंट्स ले सकते हैं.इम्यून फंक्शन के लिए विटामिन सी एक अहम भूमिका निभाता है।
साथ ही यह इस बात का भी ख्याल रखता है कि प्लेटलेट्स अच्छी तरह से काम करें।साथ ही यह आयरन अवशोषित करने के लिए शरीर की क्षमता को भी बढ़ाता है।बहुत से फलों और सब्जियों में विटामिन सी पाया जाता है जैसे- ब्रोकली, स्प्राउट्स, लाल और हरी शिमला मिर्च, सिट्रिक फ्रूट्स जैसे संतरा और ग्रेपफ्रूट्स, कीवी और स्ट्रॉबेरी। हड्डियों, मसल्स, और इम्यून सिस्टम के लिए विटामिन डी काफी जरूरी माना जाता है।हमारा शरीर धूप के संपर्क में आने पर भी विटामिन डी बना सकता है।हालांकि हर कोई सूरज की रोशनी से विटामिन डी नहीं ले पाता।खासतौर पर जो लोग ठंडी जगहों पर रहते हैं, उनके लिए धूप के संपर्क में आना काफी मुश्किल होता है।19 से 70 साल तक के लोगों को रोजाना 15 माइक्रोग्राम विटामिन डी की जरूरत होती है।
वहीं 70 से अधिक उम्र के लोगों को प्रति दिन 20 माइक्रोग्राम विटामिन डी की जरूरत होती है.इन चीजों में पाया जाता है विटामिन डी अंडे का पीला भाग, ऑयली फिश, फिश लीवर ऑयल, दही, सप्लीमेंट्स, मशरूम, ऑरेंज जूस और सोया मिल्क आदि।इसके अलावा कुछ सप्लीमेंट्स ऐसे हैं जो आपके प्लेटलेट्स काउंट को बढ़ा सकते हैं।हालांकि, कोई भी सप्लीमेंट्स लेने से पहले डॉक्टर को दिखाना काफी जरूरी होता है वरना इससे आपकी सेहत पर इसका उल्टा असर भी पड़ सकता है।क्लोरोफिल- क्लोरोफिल पौधों में पाया जाने वाला एक ग्रीन पिगमेंट होता है।एल्गी बेस्ड सप्लीमेंट्स में क्लोरोफिल की मात्रा काफी ज्यादा होती है।
कुछ ऐसे फूड्स और ड्रिंक्स हैं जिससे आपका प्लेटलेट्स काउंट बढ़ने की बजाय कम हो सकता है।इनके सेवन से बचना चाहिएजैसे-आर्टिफिशियल स्वीटनर, क्रैनबेरी जूस। पपीते के पत्तों का रस- साल 2017 में हुई एक स्टडी में यह पाया गया था कि पपीते के पत्तों से निकलने वाले रस का सेवन करने से प्लेटलेट्स काउंट बढ़ सकता है।बहुत से हेल्थ स्टोर्स में पपीते के पत्तों के रस से बनी गोलियों भी मिलती हैं।