परिचय:
अभिषेक एस चौहान, 22 अगस्त 1984 को कानपुर, उत्तर प्रदेश में जन्मे, एक भारतीय उद्यमी हैं जिन्होंने अपने 15 वर्षों के अनुभव से कृषि क्षेत्र में नई दिशा दी है। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय और लैटरोब विश्वविद्यालय (मेलबर्न) से बीबीए, स्नातक डिप्लोमा इन कम्युनिटी वर्क और एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की है। अपने शुरुआती जीवन में ही उन्होंने सामाजिक संरचना को समझने और समाज की सेवा करने की दिशा में कदम बढ़ाए। उनके इस प्रयास को कोविड महामारी के दौरान पूरा किया गया, जब उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई पूरी की।
अभिषेक की पत्नी, डॉ. रश्मि गौतम, एक पेशेवर एमबीबीएस एमडी (पैथोलॉजी) डॉक्टर और वर्तमान में एक मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर हैं। दोनों की शादी 20 जनवरी 2012 को हुई थी। अभिषेक का नया उद्यम, ‘द फॉर्मप्योर’, एक अभिनव और क्रांतिकारी विचार है जो भारतीय किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रहा है।
इस विशेष साक्षात्कार में, अभिषेक ने दैनिक भास्कर के साथ अपने इस सफर और ‘द फॉर्मप्योर’ के बारे में विस्तार से चर्चा की।
प्रश्न: द फॉर्मप्योर की शुरुआत कैसे हुई? इसके पीछे की कहानी क्या है?
अभिषेक: द फॉर्मप्योर की शुरुआत का सफर अद्भुत और चुनौतीपूर्ण रहा है। भारतीय कृषि क्षेत्र की समस्याओं को देखते हुए हमने एक ऐसे मंच की कल्पना की थी जो किसानों और उपभोक्ताओं के बीच सीधा संपर्क स्थापित कर सके।
प्रारंभ में, किसान अपने उत्पादों को उचित मूल्य पर बेचने में असमर्थ थे क्योंकि बिचौलियों की भूमिका बहुत बड़ी थी। इसका परिणाम यह हुआ कि उपभोक्ताओं को उचित कीमत पर उत्पाद नहीं मिल पाते थे और किसानों को भी उनके उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिलता था।
इस स्थिति को सुधारने के लिए, हमने ‘द फॉर्मप्योर’ की स्थापना की, जहां किसान सीधे अपने उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुंचा सकते हैं। इससे न केवल किसानों को उनका सही हिस्सा मिलता है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद उचित मूल्य पर मिलते हैं।
प्रश्न: आपके जीवन में इस व्यवसाय में उतरने की प्रेरणा क्या थी?
अभिषेक: मेरे जीवन में इस व्यवसाय में उतरने की प्रेरणा कई घटनाओं से मिली। एक दिन, मैं अपनी ब्रांडिंग टीम के साथ विचार-मंथन कर रहा था, तब मुझे यह एहसास हुआ कि कृषि क्षेत्र में अभी भी बहुत कुछ किया जा सकता है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन फिर भी हमारे किसान सही तरीके से अपने उत्पाद नहीं बेच पाते हैं। मैंने महसूस किया कि अगर हमें किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारनी है, तो हमें उन्हें आधुनिक तकनीकों से लैस करना होगा और उनके उत्पादों को सीधा बाजार तक पहुंचाना होगा। यही विचार ‘द फॉर्मप्योर’ की नींव बना।
प्रश्न: ‘द फॉर्मप्योर’ के माध्यम से आप किस तरह के उत्पाद प्रदान करते हैं?
अभिषेक: ‘द फॉर्मप्योर’ के माध्यम से हम विभिन्न प्रकार के जैविक और प्राकृतिक उत्पाद प्रदान करते हैं। इनमें अनाज, जैविक और प्राकृतिक आटे, बीज, नट्स, कोल्ड-प्रेस्ड ऑर्गेनिक तेल, जैविक दालें, पाचन के लिए अनुकूल मसाले, फिल्टर कॉफी, जैविक शहद, और जैविक गुड़ शामिल हैं। हमारा उद्देश्य न केवल पर्यावरण को संरक्षित करना है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी पौष्टिक और स्वस्थ आहार प्रदान करना है।
हम एक सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र तैयार कर रहे हैं जहां हर कदम स्वचालित होता है। हमारा लक्ष्य है कि हमारे ग्राहकों को किसानों और उत्पाद की जानकारी एक विशेष ट्रैकिंग सिस्टम के माध्यम से प्राप्त हो सके। हम प्रत्येक पैकेज पर एक अद्वितीय ट्रैकिंग कोड एम्बेड करेंगे जिसमें किसान और उत्पाद की विस्तृत जानकारी होगी।
प्रश्न: किसानों के साथ आपका अनुभव कैसा रहा है? आपने उन्हें किस तरह से सहायता की है?
अभिषेक: हमारा अनुभव किसानों के साथ बहुत अच्छा रहा है। हमने उन्हें नई तकनीकों से अवगत कराया और उनकी उत्पादकता को बढ़ाने के लिए आधुनिक मशीनरी का उपयोग सिखाया। हम नियमित रूप से अपने पंजीकृत किसानों के लिए विकास कार्यक्रम आयोजित करते हैं, ताकि वे अपनी क्षमताओं को और विकसित कर सकें।
हमने देखा कि जब किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य मिलता है, तो वे और भी बेहतर करने के लिए प्रेरित होते हैं। इसके अलावा, हम उन्हें उन्नत भंडारण और वितरण तकनीकें भी उपलब्ध कराते हैं, जिससे उनके उत्पाद बर्बाद नहीं होते हैं।
प्रश्न: ‘द फॉर्मप्योर’ के माध्यम से आप किस तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं?
अभिषेक: ‘द फॉर्मप्योर’ की यात्रा में कई चुनौतियां आई हैं। प्रारंभ में, हमें किसानों और उपभोक्ताओं के बीच विश्वास स्थापित करने में कठिनाई हुई।
हमारे सामने एक और बड़ी चुनौती थी कि कैसे हम अपने उत्पादों को उपभोक्ताओं तक तेजी से और सुरक्षित तरीके से पहुंचा सकें। इसके लिए हमने उन्नत लॉजिस्टिक्स सिस्टम का निर्माण किया, जो हमें अपने ग्राहकों तक ताजगी बनाए रखते हुए उत्पाद पहुंचाने में मदद करता है।
इसके अलावा, किसानों को आधुनिक तकनीकों से अवगत कराना और उन्हें जागरूक करना भी एक बड़ी चुनौती रही है।
प्रश्न: भविष्य में आप ‘द फॉर्मप्योर’ को कहां देखना चाहते हैं?
अभिषेक: हमारा लक्ष्य ‘द फॉर्मप्योर’ को भारत का प्रमुख जैविक उत्पाद मंच बनाना है। हम चाहते हैं कि हर घर में लोग स्वस्थ और जैविक उत्पादों का सेवन करें।
हम भविष्य में और भी किसानों को हमारे साथ जोड़ने की योजना बना रहे हैं, ताकि वे भी हमारे मंच से लाभान्वित हो सकें। इसके अलावा, हम और भी नए उत्पादों को पेश करने की योजना बना रहे हैं, ताकि उपभोक्ताओं को और भी विकल्प मिल सकें।
प्रश्न: आपकी व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो आपकी शिक्षा और परिवार का आपके जीवन पर क्या प्रभाव रहा है?
अभिषhek: मेरी शिक्षा और परिवार का मेरे जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव रहा है। मेरी पत्नी, डॉ. रश्मि गौतम, ने हमेशा मुझे प्रेरित किया है और मेरे हर कदम पर मेरा समर्थन किया है।
मेरे माता-पिता, श्री यश करण सिंह और श्रीमती मंजूषा देवी चौहान, ने हमेशा मुझे सिखाया कि कैसे समाज की सेवा की जा सकती है। मेरी शिक्षा, विशेष रूप से कम्युनिटी वर्क में स्नातक डिप्लोमा और एलएलबी, ने मुझे सामाजिक मुद्दों को समझने और उन्हें हल करने में मदद की है।
प्रश्न: अंत में, आप युवा उद्यमियों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
अभिषेक: मैं युवा उद्यमियों को यही संदेश देना चाहूंगा कि हमेशा अपने सपनों के पीछे चलें और अपने विचारों पर विश्वास रखें। अगर आपके पास एक स्पष्ट दृष्टिकोण और दृढ़ निश्चय है, तो कोई भी चुनौती आपको रोक नहीं सकती।
कृषि क्षेत्र में बहुत संभावनाएं हैं और अगर हम इसे सही तरीके से उपयोग करें तो यह न केवल किसानों के जीवन को बेहतर बना सकता है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर सकता है।