कोलकाता । आरजी कर मेडिकल कॉलेज में चल रहे जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन में कोई राजनीतिक रंग नहीं है। जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें सरकार से चर्चा करने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उनकी चार शर्तें मानी जानी चाहिए। नवान्न में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, मुख्य सचिव मनोज पंत और राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस के तुरंत बाद, जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधि किन्जल नंद ने सॉल्टलेक स्थित प्रदर्शनस्थल से प्रतिक्रिया दी।
किन्जल नंद ने कहा, “इस आंदोलन का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।” उन्होंने कहा कि अगर उनकी चार शर्तें मानी जाती हैं, तो वे सरकार के साथ चर्चा करने के लिए तैयार हैं। जूनियर डॉक्टरों के एक और नेता अनिकेत महतो ने कहा, “जिस क्षण हमारी मांगे मानी जाएंगी, हम उसी क्षण चर्चा में शामिल हो जाएंगे।” अनिकेत ने यह भी साफ किया कि उनका आंदोलन पूरी तरह से गैर-राजनीतिक है। उन्होंने यह भी कहा कि नवान्न में अगर डॉक्टरों का प्रतिनिधिमंडल जाता भी है, तो वह वहां कोई निर्णय नहीं लेगा और वे वापस धरना स्थल पर लौट आएंगे। उनके सभी सहयोगियों के साथ चर्चा के बाद ही आंदोलन और हड़ताल को लेकर कोई फैसला लिया जाएगा।
जूनियर डॉक्टरों ने अपनी चार शर्तें स्पष्ट की थीं। पहली शर्त, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बैठक में शामिल होना होगा। दूसरी, 30 लोगों के प्रतिनिधिमंडल को नवान्न में जाने की अनुमति दी जाए। तीसरी, बैठक का लाइव टेलीकास्ट होना चाहिए और चौथी शर्त यह कि हड़ताल वापस नहीं ली जाएगी, बल्कि चर्चा पांच मांगों पर आधारित होगी। अनिकेत महतो ने कहा कि राज्य सरकार ने उनकी चार शर्तों से संबंधित ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया, जिसके कारण उन्होंने यह निर्णय लिया।
इससे पहले, नवान्न में राज्य के मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, मुख्य सचिव मनोज पंत और पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। मुख्य सचिव मनोज पंत ने कहा, “दुर्भाग्यवश, वे अब तक नहीं आए। उन्हें चर्चा के लिए आना चाहिए था। हमने उनसे अनुरोध किया था कि वे काम पर लौट आएं, क्योंकि लोगों को सेवा देना उनकी जिम्मेदारी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना भी आवश्यक है।” उन्होंने आगे कहा, “हमने उन्हें आज शाम छह बजे रचनात्मक चर्चा के लिए बुलाया था। जहां कहीं स्वास्थ्य ढांचे में सुधार की जरूरत है, उस पर चर्चा की जा सकती थी। हमने उनकी सुरक्षा के लिए भी आवश्यक कदम उठाए हैं।”
स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा, “इस आंदोलन के पीछे राजनीतिक उद्देश्य हो सकते हैं। अपराधियों को सजा दिलाने के लिए हमने न केवल बात की है, बल्कि विधानसभा में एक बिल भी पारित किया है। हमने खुली चर्चा की पेशकश की थी।”
पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार ने कहा, “हम डॉक्टरों के कार्यस्थल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम अस्पताल और अन्य कार्यस्थलों की सुरक्षा को और मजबूत कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि वे जल्द से जल्द काम पर लौटें। अगर वे लौटते हैं, तो उन्हें सुरक्षा में सुधार दिखाई देगा।” लेकिन जूनियर डॉक्टरों ने इन बातों पर भरोसा नहीं जताया और अपने आंदोलन को जारी रखने का फैसला किया।