शाहजहांपुर : स्वामी शुकदेवानंद महाविद्यालय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उदबोधन देते हुए मुमुक्षु शिक्षा संकुल के मुख्य अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने कहा कि एकात्म मानववाद कहने को तो एक साधारण सा वाक्य है किंतु इसमें एक बहुत गहरा अर्थ अंतर्निहित है।
हमारी संस्कृति प्राचीन काल से ही वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा पर आधारित है। इसका एक ताजा उदाहरण हम सभी ने कोरोना काल में देखा है। जब सारा विश्व कोरोना जैसी महामारी से त्रस्त था, तब भारत ने पूरे विश्व के लिए पूर्ण समर्पण के साथ कार्य किया। हमें आज के पावन दिवस पर यह संकल्प लेना चाहिए कि हम “सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामय:, सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मा कश्चित दुखभाग भवेत” की संकल्पना को साकार करने का प्रयत्न करें।
मानव जीवन एक सीमित अवधि के लिए ही प्राप्त हुआ है। लिहाजा हमें समय प्रबंधन करते हुए अधिक से अधिक सीखने का प्रयास करना चाहिए: डीएम
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं जनपद के नवागत जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने इस अवसर पर कहा कि मानव जीवन एक सीमित अवधि के लिए ही प्राप्त हुआ है। लिहाजा हमें समय प्रबंधन करते हुए अधिक से अधिक सीखने का प्रयास करना चाहिए। व्यक्तित्व का अच्छा होना नितांत आवश्यक है जिसके लिए सतत ज्ञानार्जन जरूरी है। ज्ञान व्यक्ति के महत्व को बढ़ाता है। हमें अपने व्यक्तित्व में कोई न कोई विशेषता लाने का प्रयास निरंतर करते रहना चाहिए। इसके साथ ही हमें अपनी प्राचीन परंपराओं और सभ्यताओं को भी संजोकर रखना चाहिए। हमारा सतत प्रयास होना चाहिए कि हम अच्छी बातों को अपने अंदर आत्मसात करें। उन्होंने कहा कि आज इंटरनेट ज्ञान का सर्वोत्तम स्रोत है
जिसके माध्यम से हम अपने देश, समाज तथा विश्व के विषय में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रुहेलखंड विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ भोला खान ने बताया कि सर्वोदय की संकल्पना का शुभारंभ महात्मा गांधी ने किया था। बाद में उसे पंडित दीनदयाल उपाध्याय के द्वारा भी अपनाया गया। उन्होंने सर्वोदय एवं अंत्योदय दोनों ही अवधारणाओं पर विस्तृत चर्चा की और कहा कि सर्वोदय को अपनाकर ही समाज में भेदभाव को दूर किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि ‘सादा जीवन उच्च विचार’ जैसे पवित्र सिद्धांत को अपनाकर हम उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं। महाविद्यालय के सचिव डॉ ए के मिश्रा ने कहा कि मन बुद्धि एवं आत्मा तीनों का स्वरूप एक ही है। प्राचीन भारतीय सभ्यता में एकात्म मानववाद की संकल्पना विद्यमान थी। हमारा प्रयास होना चाहिए कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़ा व्यक्ति भी उच्चतम स्तर को प्राप्त कर सके। कार्यक्रम में स्वागत गीत एवं संकुल गीत डॉ कविता भटनागर के द्वारा प्रस्तुत किया गया। मुख्य अतिथि महोदय का स्वागत महाविद्यालय के सचिव डॉ ए के मिश्रा, शंकर मुमुक्षु विद्यापीठ के सचिव अशोक अग्रवाल एवं संजीव बंसल के द्वारा किया गया। विशिष्ट अतिथि का स्वागत डॉ मधुकर श्याम शुक्ला, एस पी डबराल एवं डॉ कमलेश गौतम के द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया गया। सम्मानित होने वाले विद्यार्थियों में मनिक मेहरोत्रा, निहारिका सिंह, हंसिका वर्मा, आयुष वर्मा, इकरा वसी, श्रेया खन्ना, शिवांगी गुप्ता, अदीबा नाज, नितांशी गुप्ता, स्तुति रस्तोगी, रेनू सिंह, सौरभ राठौर, प्रिया यादव, गीतिका सचदेव, उन्नति सेठ, प्रेरणा सिंह थे। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के उपप्राचार्य डॉ अनुराग अग्रवाल ने एवं धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो आर के आजाद ने किया।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ। कार्यक्रम में सिटी मजिस्ट्रेट प्रवेंद्र कुमार, विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ जयशंकर ओझा, संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ करुणा शंकर तिवारी, श्री शंकर मुमुक्षु विद्यापीठ की प्रधानाचार्या डॉ मेघना मेहंदीरत्ता, स्वामी धर्मानंद सरस्वती इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ अमीर सिंह यादव, प्रो आदित्य कुमार सिंह, प्रो आलोक मिश्रा, प्रो प्रभात शुक्ला, प्रो देवेंद्र सिंह, प्रो मीना शर्मा, प्रो अजीत सिंह चारग, डॉ अंकित अवस्थी, डॉ आदर्श पांडेय, डॉ संदीप अवस्थी आदि सहित मुमुक्षु शिक्षा संकुल की सभी संस्थाओं के शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।