कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कथित जबरन वसूली से संबंधित एक मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ दर्ज एफआईआरपर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया । एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, तत्कालीन कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष नलिन कुमार कतील, जो सह-आरोपी हैं,
दर्ज एफआईआर में आगे की जांच पर रोक लगा दी गई है रिपोर्ट के अनुसार, एक विशेष अदालत के आदेश के आधार पर सीतारमण, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर में भाजपा कर्नाटक प्रमुख बीवाई विजयेंद्र, पार्टी नेता नलिन कुमार कतील का भी नाम है।’जनाधिकार संघर्ष परिषद’ (जेएसपी) के सह-अध्यक्ष आदर्श आर अय्यर ने शिकायत दर्ज कराई थी
जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने “चुनावी बॉन्ड की आड़ में जबरन वसूली की और 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ उठाया।”शिकायतकर्ता ने आगे आरोप लगाया कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने ईडी अधिकारियों की गुप्त सहायता और समर्थन के माध्यम से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर दूसरों के लाभ के लिए हजारों करोड़ रुपये की जबरन वसूली की। चुनावी बांड की आड़ में पूरा जबरन वसूली का रैकेट विभिन्न स्तरों पर भाजपा के पदाधिकारियों की मिलीभगत से चलाया जा रहा है।”
कांग्रेस ने सीतारमण के इस्तीफे की मांग की
कांग्रेस ने वित्त मंत्री सीतारमण के इस्तीफे की मांग की और पूरे चुनावी बॉन्ड योजना की एसआईटी के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग दोहराई।कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था, “चुनावी बॉन्ड की साजिश के जरिए पैसे ऐंठने के लिए चार तरीके इस्तेमाल किए गए- प्रीपेड रिश्वत, पोस्टपेड रिश्वत, छापे के बाद रिश्वत और फर्जी कंपनियों के जरिए।
“भाजपा सांसद जगदीश शेट्टार ने केंद्रीय मंत्री के खिलाफ एफआईआर के लिए कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। शेट्टार ने एएनआई से कहा, “न्यायपालिका के निर्देशानुसार एफआईआर पहले ही दर्ज की जा चुकी है। एफआईआर दर्ज करने से पहले संबंधित पुलिस अधिकारियों को यह जांचना होता है कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है या नहीं…उन्होंने (शिकायतकर्ता ने) शिकायत में कई बातें कही हैं…पीड़ित पक्ष की ओर से कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।”