बहराइच हिंसा के आरोपितों के घरों पर बुलडोजर कार्रवाई के मामले पर सुप्रीम कोर्ट कल यानि 23 अक्टूबर को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने तब तक बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
आज वकील सीयू सिंह ने जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने इस मामले को रखा और जल्द सुनवाई की मांग की। मेंशनिंग के दौरान यूपी सरकार ने कहा कि वो बहराइच हिंसा के आरोपितों के खिलाफ 23 अक्टूबर तक कोई कार्रवाई नहीं करेंगे। मेंशनिंग के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि अगर यूपी सरकार हमारे आदेश की अवहेलना का जोखिम उठाना चाहती है तो उनकी मर्जी है। हम कल इस पर सुनवाई करेंगे।
बहराइच हिंसा के तीन आरोपितों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी के आरोपित होने भर से उसके घर पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता। याचिका में कहा गया है कि बहराइच के पीडब्ल्यूडी विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर ने 18 अक्टूबर को महाराजगंज और महसी इलाके में 23 घरों और दुकानों पर 17 अक्टूबर की अंकित तिथि का नोटिस चिपकाया।
याचिका में कहा गया है कि जिन घरों और दुकानदारों के यहां नोटिस चिपकाया गया है वे 10 से 70 सालों से रह रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बचने के लिए नोटिस में यूपी सरकार उनके घरों और दुकानदारों को अनधिकृत निर्माण कह रही है। नोटिस पर तीन दिनों के कम समय में जवाब देने को कहा गया है वरना कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
याचिका में स्थानीय विधायक के बयान का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया था कि प्रशासन ने मुख्य आरोपित अब्दुल हामिद के अवैध रूप से निर्मित घर पर ध्वस्तीकरण का नोटिस चिपकाया है। बयान में कहा गया था कि आगे की कार्रवाई भी जल्द ही होगी। याचिका में कहा गया है कि यूपी सरकार पिक एंड चूज के आधार पर काम कर रही है। इस डर की वजह से कई निवासी और दुकानदार इलाका छोड़ कर भाग गए हैं।