ईसानगर खीरी। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और कमीशन खोरी की वजह से यह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। मजदूरो को रोजगर नहीं मिल रहा लेकिन बिना काम करायें लाखों का भुगतान निकल रहा है।
खण्ड विकास में कार्यरत जिम्मेदारों की मिली भगत से सरकारी धन के बंदर बाट के मामले प्रकाश में आ रहे है। मामला विकास खण्ड ईसानगर की ग्राम सभा मटरिया का है। प्राप्त जानकारी के अनुसार एक परियोजना पर पांच सेट में मास्टर रोल जारी किया गया है। त्रिभवन के खेत से असगर अली के खेत तक मिट्टी पटाई कार्य नामक परियोजना पर 41 मजदूरों की हाजिरी मास्टर रोल में लग रही है। जबकि मौके पर पांच ही मजदूर काम करते मिले, और उपस्थित व्यक्ति द्वारा ज्ञात हुआ जिन लोगों की हाजिरी लगा रही है वह काम पर नहीं आते। उनकी केवल फर्जी हाजिरी लग रही है , साथ ही पोर्टल पर फोटो पुराने लगा दिए गए।
इसी प्रकार ग्राम सभा कविरहा मे प्रथमिक विद्यालय नगरिया मे बन रहे आंगनवाड़ी केंद्र निर्माण कार्य परियोजना पर एक सेट में मास्टर रोल जारी किया गया है,
जिसमें सात मजदूरों की हाजरी दर्ज की गई है, जिसमे मौके पर सिर्फ तीन मजदूर ही देखने को मिले l
ईसानगर विकास खण्ड के अंतर्गत बहुत सी ग्राम पंचायतो का यही है हाल है। इस तरह मनरेगा योजना में बिना काम करायें मजदूरों की फर्जी हाजिरी लगाकर लाखों का भुगतान कराया जा रहा है। जिसकी वजह से वास्तविक मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है।
सूत्रों की माने तो परियोजना पर टी ए बिना मौके पर गए ऑफिस में बैठे-बैठे उन परियोजनाओं की बकायदा एमबी कर फाइलों को भुगतान के लिए भेज देते हैं। फाइलों में बने एस्टीमेट के अनुसार वहां कार्य नहीं होता है, और न ही मस्टररोल के हिसाब से मजदूर होते हैं। मजदूरों की बजाए मशीनों से काम करवा दिया जाता है।
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इस संबंध मे प्रदीप चौधरी खण्ड विकास अधिकारी ईसानगर से फोन के माध्यम से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि आपके माध्यम से जानकारी मिली है, इसको पहले ऑनलाइन पोर्टल से चेक करवाते है, अगर इस तरीके की कोई समस्या है तो पेमेंट भी रुकेगा कार्यवाही भी होगी।
ललकार सिंह सचिव मटरिया को फोन करने पर उनके द्वारा बताया गया कि मुझे जानकारी नहीं है पोर्टल देखकर बताता हूं, साथ ही उन्होंने कहा प्रधान गरीब है उसे मत देखो।