नई दिल्ली। अमेरिका में कार्यरत लगभग 10 लाख भारतीय पेशेवरों की मेहनत की कमाई से जुड़े करोड़ों डॉलर वर्तमान में अमेरिकी ट्रेजरी में अटके पड़े हैं। इसका मुख्य कारण भारत और अमेरिका के बीच करार नहीं होना बताया गया है इससे इन भारतीयों के सामाजिक सुरक्षा अंशदान की वापसी अटकी हुई है।
भारत और अमेरिका के बीच सामाजिक सुरक्षा समझौता होता, तो अमेरिका में काम करने वाले भारतीयों को रिटायरमेंट के बाद अपने योगदान का भुगतान वापस मिल सकता था, लेकिन समझौता नहीं होने के कारण फिलहाल यह संभव नहीं है। वर्तमान में भारतीय पेशेवर अमेरिकी सामाजिक सुरक्षा के लिए प्रति माह 6.2फीसदी का योगदान देते हैं, जो उनके वेतन का एक बड़ा हिस्सा बनता है। यह राशि अमेरिका में काम के दौरान एकत्र होती है, लेकिन वहां काम करने का समय पूरा होने के बाद भी कई भारतीय पेशेवर इस लाभ का उपयोग नहीं कर पाते। इसका सीधा अर्थ यह है कि लाखों भारतीयों की मेहनत की कमाई एक असाधारण राशि के रूप में अमेरिकी ट्रेजरी में फंसी हुई है।
सामाजिक सुरक्षा समझौते की आवश्यकता
इस समझौते के बिना भारतीय पेशेवर अमेरिका में अपने करियर के शुरुआती वर्षों में सामाजिक सुरक्षा करों का भुगतान तो कर रहे हैं, लेकिन उन पैसों को वापस नहीं पा सकते। इस प्रकार यह राशि अमेरिकी ट्रेजरी में ही बनी रहती है। अमेरिका की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में योगदान देने वाले भारतीय नागरिकों की यह राशि उन लोगों के लिए उपलब्ध नहीं होती जो एक निश्चित अवधि तक अमेरिका में कार्यरत नहीं रहते। इस स्थिति से प्रभावित भारतीयों के लिए यह एक वित्तीय नुकसान का मामला बनता जा रहा है।
भारत सरकार की कोशिशें
भारत सरकार ने इस मुद्दे को कई बार अमेरिका के सामने उठाया है। दोनों देशों के बीच टोटलाइजेशन एग्रीमेंट या सामाजिक सुरक्षा समझौता होने की मांग लंबे समय से की जा रही है। भारत में सरकारी अधिकारियों का कहना है कि वे इस समझौते को प्राथमिकता दे रहे हैं ताकि भारतीय पेशेवरों को उनके योगदान का लाभ मिल सके। यह समझौता अगर हो जाता है तो यह अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों के लिए एक बड़ी राहत होगी, जिससे वे अपने निवेश का उचित लाभ प्राप्त कर सकेंगे। अब देखना यह है कि क्या दोनों देशों के बीच इस करार पर जल्द सहमति बन पाती है या भारतीय पेशेवरों के करोड़ों अमेरिकी ट्रेजरी में अटके ही रहेंगे।