नई दिल्ली । महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे वाले बयान से स्पष्ट रूप से दूरी बना ली है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान योगी आदित्यनाथ ने यह बयान दिया था, जो सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ावा देने वाला माना गया है। पवार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि महाराष्ट्र हमेशा से सांप्रदायिक एकता का पक्षधर रहा है और यहां के लोग इस भावना को बनाए रखने पर जोर देते हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की तुलना किसी अन्य प्रदेश से करना उचित नहीं है, क्योंकि यहां के लोग छत्रपति शाहूजी महाराज, ज्योतिबा फुले, और बाबा साहेब आंबेडकर के विचारों पर चलते हैं, जो समानता और सामाजिक न्याय का संदेश देते हैं।
अजित पवार ने कहा कि बाहरी नेता आकर इस तरह के बयान देते हैं, लेकिन महाराष्ट्र के लोग ऐसी सांप्रदायिक सोच को नहीं अपनाते।
उन्होंने बिना योगी आदित्यनाथ का नाम लिए कहा कि बाहरी लोग महाराष्ट्र की तुलना अन्य प्रदेशों से करके यहां सांप्रदायिक मुद्दों को उभारने की कोशिश करते हैं, जो महाराष्ट्र की संस्कृति के खिलाफ है। साथ ही, अजित पवार ने अपने पार्टी के उम्मीदवार नवाब मलिक का समर्थन दोहराया। मलिक को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था और वे फिलहाल जमानत पर हैं। वह मानखुर्द-शिवाजीनगर सीट से उम्मीदवार हैं, और अजित पवार ने उनके लिए प्रचार करने की बात कही। हालांकि, भाजपा ने साफ कर दिया है कि वह इस सीट पर शिंदे गुट के उम्मीदवार का समर्थन करेगी और नवाब मलिक के लिए प्रचार नहीं करेगी। अजित पवार का कहना है कि मलिक पर लगे आरोप अभी साबित नहीं हुए हैं और उन्हें केवल आरोपों के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन के पक्ष में प्रचार अभियान को लेकर पवार ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि बारामती में उन्हें किसी और की रैली की जरूरत नहीं है, क्योंकि वहां के लोग उनके काम को देखते हैं और उनकी रैलियां अन्य विधानसभा क्षेत्रों में ज्यादा उपयोगी साबित हो सकती हैं। अजित पवार, जो प्रदेश के वित्त मंत्री भी हैं, ने एमवीए (महाविकास अघाड़ी) के कुछ चुनावी वादों की आलोचना की। एमवीए ने महिलाओं को तीन हजार रुपये और बेरोजगारों को हर महीने चार हजार रुपये देने का वादा किया है।
पवार ने कहा कि इन योजनाओं के लिए राज्य पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा। इसके अनुसार महिलाओं को तीन हजार रुपये देने के लिए लगभग 90 हजार करोड़ रुपये और बेरोजगारों को चार हजार रुपये देने के लिए 40 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। उन्होंने इन वादों को अव्यावहारिक बताया और इसे प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाला कहा।
महाराष्ट्र के राजनीतिक माहौल में अजित पवार का यह रुख स्पष्ट करता है कि वे अपने प्रदेश की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को बनाए रखना चाहते हैं।