उत्तराखंड में नगर निगम चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (आप) को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के दर्जनों प्रदेश, जिला और विधानसभा स्तर के पदाधिकारियों ने सामूहिक रूप से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इन इस्तीफों से पार्टी के राज्य में राजनीतिक अस्तित्व पर संकट गहराने लगा है।
शनिवार को प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में आप के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष आजाद अली ने कहा कि पार्टी पहले ही खत्म होने की कगार पर थी, लेकिन अब पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के त्यागपत्रों की बाढ़ ने स्थिति और गंभीर बना दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी को उत्तराखंड में “लिमिटेड कंपनी” की तरह चलाया जा रहा है।वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी पर लगाए गंभीर आरोपप्रेस वार्ता में पूर्व प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष (महिला मोर्चा) हेमा भंडारी, प्रदेश सचिव और नरेंद्र नगर से विधानसभा प्रत्याशी पुष्पा रावत, ज्वालापुर से विधानसभा प्रत्याशी और महिला मोर्चा की पूर्व उपाध्यक्ष ममता सिंह समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।
उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व पहाड़ की समस्याओं को नजरअंदाज कर रहा है और गैर-पहाड़ी चेहरों को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।हेमा भंडारी ने कहा कि पहाड़ के मुद्दों को समझने के लिए प्रदेश अध्यक्ष का पहाड़ी होना जरूरी है, लेकिन पार्टी हाईकमान ने एसएस कलेर जैसे बाहरी व्यक्ति को प्रदेश की कमान सौंप दी। ममता सिंह ने आरोप लगाया कि प्रदेश अध्यक्ष और सह प्रभारी रोहित महरोलिया ने समर्पित कार्यकर्ताओं को योजनाबद्ध तरीके से पार्टी से बाहर किया और उनका मानसिक शोषण किया। पद के लिए पैसे मांगने का आरोपपदाधिकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि पार्टी के भीतर पद पाने के लिए पैसे मांगे जा रहे हैं।
ममता सिंह ने कहा कि कई निष्ठावान कार्यकर्ता इन नीतियों के कारण पार्टी छोड़ने या घर बैठने को मजबूर हो गए।जल्द करेंगे बड़ा खुलासाआजाद अली ने कहा कि वह जल्द ही पार्टी के असली चेहरे को उजागर करेंगे। उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर “चापलूसों” के जरिए पार्टी चलाने का आरोप लगाया।इस्तीफा देने वाले नेताओं में पूर्व जिला संयुक्त सचिव कुर्बान अली, पूर्व जिला उपाध्यक्ष नीलम रानी, पूर्व सोशल मीडिया प्रभारी अर्जुन सिंह व अन्य प्रमुख नाम शामिल थे।