पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार का ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव लागू होने के बाद चुनाव प्रक्रिया में व्यापक सुधार होगा और देश की आर्थिक प्रगति को भी बल मिलेगा। कोविंद ने यह बयान कोलकाता में एक आदिवासी संगठन के कार्यक्रम में दिया।
रामनाथ कोविंद सितंबर 2023 में गठित भारत सरकार की ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ संबंधी उच्चस्तरीय समिति के अध्यक्ष थे। उन्होंने कहा कि देश के मतदाता हर साल अलग-अलग चुनावों के लिए मतदान करते-करते थक चुके हैं। कोविंद ने कहा, “जब यह प्रस्ताव 2029-2030 तक या संभवतः 5-10 वर्षों में पूरी तरह लागू होगा तो मतदाताओं को हर साल अलग-अलग चुनाव के लिए मतदान केंद्रों पर जाने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे आर्थिक प्रगति भी होगी और देश की जीडीपी वर्तमान 7.23 प्रतिशत से 1.5 प्रतिशत बढ़कर 10 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। तब हमारा देश दुनिया की शीर्ष 3-4 आर्थिक महाशक्तियों में शामिल होगा।”
उन्होंने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ से न केवल चुनाव प्रक्रिया में सुधार होगा बल्कि इससे शासन व्यवस्था भी सुगम होगी। उन्होंने कहा, “अगर हर साल उम्मीदवारों को मतदाताओं से वोट मांगने जाना पड़े, तो उन्हें यह जवाब भी देना होगा कि विकास से जुड़ी उनकी वादे क्यों पूरे नहीं हुए। बार-बार चुनाव होने से लोग मतदान से उदासीन हो जाते हैं।”
पूर्व राष्ट्रपति ने समिति की 18 हजार पन्नों की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि यह सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है और इससे आर्थिक शासन को सुगठित करने में मदद मिलेगी। कोविंद ने कहा, “अब कोई भी व्यक्ति एक ही स्थान पर बैठकर माउस या मोबाइल के माध्यम से इस रिपोर्ट को देख सकता है, अलग-अलग पुस्तकालयों में जाने की आवश्यकता नहीं है।”
आदिवासियों, दलितों और पिछड़े वर्गों पर बात करते हुए कोविंद ने कहा, “ये लोग देश की संस्कृति का सुंदर संगम हैं और भारत की गरिमा बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। हमें इन्हें राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनाना होगा। जब यह समावेशिता वास्तविकता बनेगी, तब देश सच्चे अर्थों में प्रगति करेगा।”