यूपी विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान बुधवार को भी बिजली का मुद्दा छाया रहा। बिजली के अलावा विपक्ष के सदस्यों ने प्रदेश में वायु प्रदूषण के साथ ही गन्ना किसानों के भुगतान और गन्ना मूल्य बढ़ोतरी का भी मुद्दा उठाया।
सपा के सदस्य हृदय नारायण सिंह पटेल ने कहा कि विभाग से उन्होंने अपने क्षेत्र में बिजली का खम्भा और ट्रांसफार्मर लगाने के लिए सम्पर्क किया तो उन्हें बताया गया कि विधायक निधि दे देंगे तो कार्य जल्दी हो जाएगा। सदस्य ने अपनी निधि से लगवाने के लिए धनराशि दी लेकिन डेढ़ साल तक कार्य नहीं हुआ। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि क्या निधि देने वाले विधायकों का नाम कार्य स्थल पर बोर्ड लगाकर लिखने का कार्य किया जाएगा।
ऊर्जा मंत्री एके.शर्मा ने कहा कि विभाग के पास बिजली देने, खम्भा और ट्रांसफार्मर लगाने के लिए पर्याप्त धन है। विभाग इस दिशा में कार्य कर रहा है। विधायक को अपनी निधि देने की जरूरत नहीं है। यदि कोई विधायक देना चाहता है तो उनका स्वागत है।
इस विषय की गंभीरता को देखते हुए पीठ से अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा यदि विधायक अपनी निधि दे रहे हैं तो उसमें देरी क्यों हो रही है ? सरकार इसे देखे और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करे। मंत्री यह भी जांच कराएं कि स्टीमेट में कौन लोग गड़बड़ी कर रहे हैं। उन्हें भी दण्डित किया जाए। विधायकों से जुड़े इस मुद्दे पर अध्यक्ष के इस प्रकार के आश्वासन का सदस्यों ने मेज थपथपाकर स्वागत किया।
विपक्ष के एक अन्य प्रश्नों का उत्तर देते हुए वन एवं पर्यावरण मंत्री अरुण कुमार सक्सेना ने सदन में कहा कि यह बात सही है कि कुछ जिलों में वायु प्रदूषण बढ़ा है। लेकिन यह एनसीआर के जिले हैं। एनसीआर के जिलों में बढ़े प्रदूषण के पीछे पंजाब और दिल्ली है। वहां विपक्ष के साथियों की ही सरकार है। उत्तर प्रदेश में प्रदूषण को रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।