उत्तराखंड के पहाड़ अपनी खूबसूरती के लिए जितने मशहूर हैं, ठंड में यहां जीवन उतना ही चुनौतीपूर्ण हो जाता है। भारी बर्फबारी और शीतलहर ने राज्य के जनजीवन को प्रभावित कर दिया है। उत्तराखंड के कई जिलों में न्यूनतम तापमान 4°C तक गिर गया है। जबकि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में यह शून्य से नीचे पहुंच गया है। तापमान में भारी गिरावट के साथ-साथ कई क्षेत्रों में मार्ग अवरुद्ध हो गए हैं, जिससे सामान्य गतिविधियां बाधित हो रही हैं।
देहरादून, मसूरी, चकराता और रुद्रप्रयाग जैसे जिलों में बर्फबारी के चलते प्रशासन ने राहत कार्यों में तेजी लाई है। भारी बर्फबारी के कारण देहरादून-मसूरी मार्ग और चकराता जैसे इलाकों में यातायात बाधित है। सड़कें खोलने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किए जा रहे हैं। रुद्रप्रयाग और अन्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन टीमों को सक्रिय रूप से तैनात किया गया है। राहत कार्यों के तहत 810 लोगों को रैन बसेरों में आश्रय दिया गया। इनमें से 752 लोग देहरादून में शरण लिए हुए हैं। साथ ही 99 स्थानों पर अलाव जलाए गए हैं और जरूरतमंदों को कंबल वितरण का कार्य प्राथमिकता से किया जा रहा है।
रुद्रप्रयाग जिले में शीतलहर के प्रकोप से बचाव के लिए जिला प्रशासन ने 100 से अधिक प्रवासी मजदूरों और गरीब परिवारों को गर्म कंबल प्रदान किए गए। इसके अलावा ठंड से प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य सामग्री और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी वितरित की गईं।
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि शीतलहर के दौरान अनावश्यक यात्रा से बचें।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में ठंड और बर्फबारी हर साल चुनौती लेकर आती है, लेकिन हमारी सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि किसी भी नागरिक को आवश्यक सुविधाओं की कमी न हो। उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिया है कि राहत कार्यों में पारदर्शिता और तत्परता सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने जनता से अपील की कि अनावश्यक यात्रा से बचें और आपातकालीन सहायता के लिए प्रशासन द्वारा जारी हेल्पलाइन टोल-फ्री नंबर: 1077 व दूरभाष: 0135-2626066, 2726006 का प्रयाेग करें।