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- भक्तों का मानना है कि रुद्राभिषेक करवाने से होता है सभी पापों का अंत
- सोमेश्वर नाथ मंदिर के ऊपर लगे त्रिशूल की दिशा महीने के हर पूर्णिमा पर घूम जाती है
प्रयागराज। नैनी अरैल स्थित प्राचीन श्री सोमेश्वर नाथ मंदिर में शिवरात्रि पर भक्तों की अपार भीड़ उमड़ती है। मंदिर से जुड़े महंत राजेंद्र पुरी महाराज ने बताया कि महाशिवरात्रि पर्व से कुछ दिन पूर्व मंदिर परिसर से लेकर चारों तरफ तक भव्य सजावट किया जाता है। जिसमें रंग-बिरंगी झालरों, विद्युत उपकरणों सहित भारी भरकम फूल मालाओं से और रंग-बिरंगे कपड़ों से भोले नाथ के मंदिर की सजावट की जाती है। सजावट इतनी भव्य होती है कि दूरदराज से लोग इसे देखने के लिए आते हैं।
हर कोई इस भव्य सजावट को अपने मोबाइल कैमरे में उतारते हैं और भक्तों के बीच सेल्फी का दौर भी चलता है। महाशिवरात्रि के शुभ दिन पर 15 कुंतल दूध मेवे की खीर व हलवा शिव भक्तों को दिन भर वितरण किया जाता है। साथ ही जो शिवभक्त व्रत होते हैं। उनके लिए विशेष तौर से आलू का प्रसाद एवं फल का वितरण किया जाता है। इतना ही नहीं शिव भक्तों के लिए ठंडाई की भी व्यवस्था की जाती है। वहीं सुबह से लेकर रात भर रुद्राभिषेक का भी कार्यक्रम चलता रहता है।
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एक रुद्राभिषेक पूर्ण होने के बाद आरती का कार्यक्रम किया जाता उसके बाद दूसरे रुद्राभिषेक कार्यक्रम की शुरुवात की जाती है। यह सिलसिला महाशिवरात्रि पर्व पर सुबह से लेकर रात तक चलता रहता है। वहीं भक्तों का मानना है कि रुद्राभिषेक करवाने से सभी पापों का अंत होता है और हर तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है। वहीं वर्षों से भक्तों ने यह बात सुनी और पढ़ी थी कि सोमेश्वर नाथ मंदिर के ऊपर लगे त्रिशूल की दिशा महीने के हर पूर्णिमा पर घूम जाती है। वहीं मंदिर के पुजारी हरवेंद्र पुरी व शैलेन्द्र पुरी ने बताया कि सोमेश्वर नाथ मंदिर परिसर में हर वर्ष भव्य भंडारे का आयोजन किया जाता है। जिसमें हजारों लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं।