
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में 28 फरवरी को बहुचर्चित फीचर फिल्म इलहाम (Elham) का विशेष स्क्रीनिंग आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों, प्रोफेसरों और सिनेमा प्रेमियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इस आयोजन को यूनिवर्सिटी फिल्म क्लब, कल्चरल एजुकेशन सेंटर (CEC) द्वारा आयोजित किया गया। फिल्म प्रदर्शन के बाद फिल्म के निर्देशक ध्रुव हर्ष ने एक इंटरैक्टिव वर्कशॉप का संचालन किया, जिसमें उन्होंने फिल्म निर्माण की बारीकियों को साझा किया।
फिल्म की कहानी और प्रेरणा
अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में अपनी छाप छोड़ने वाली फिल्म इल्हाम ईद के अवसर पर उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र की पृष्ठभूमि में एक बच्चे फैजान और उसके बकरे डोडू के बीच भावनात्मक रिश्ते को दर्शाती है। फिल्म मासूमियत, विश्वास और सामाजिक परंपराओं से उपजे द्वंद्व को बड़े ही संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत करती है।
फिल्म के विषय में बात करते हुए ध्रुव हर्ष ने कहा, “बचपन से ही मुझे जानवरों से खास लगाव था। मैंने अपने तोते, खरगोश और कुत्ते को खो दिया था, और उनके लिए रोता रहा। यह अपराधबोध मेरे भीतर था कि मैं उन्हें बचा नहीं पाया। वर्षों बाद, जब मैंने कोरियाई निर्देशक किम की-डुक की फिल्म ‘स्प्रिंग, समर, फॉल, विंटर… एंड स्प्रिंग’ देखी, तो मुझे अपने बचपन की यादें फिर से ताजा हो गईं और वहीं से इस कहानी की नींव रखी गई।”
उन्होंने आगे कहा, “बच्चों की मासूमियत और उनकी आस्था वयस्कों से अलग होती है। वे चीजों को उतनी जटिलता से नहीं देखते जितना बड़े देखते हैं। फिल्म में फ़क़ीर का किरदार सूफी कवि और दार्शनिक इब्न अरबी से प्रेरित है, जो फैजान को उसकी आस्था और भावनाओं के बीच संतुलन बनाने में मदद करता है।”
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली सराहना
इल्हाम को अब तक कई प्रतिष्ठित फिल्म समारोहों में सराहा जा चुका है, जिनमें ढाका इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, रेनबो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (लंदन), इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ शिमला, कोलकाता इंटरनेशनल चिल्ड्रेन्स फिल्म फेस्टिवल और जगरण फिल्म फेस्टिवल शामिल हैं। कोलकाता इंटरनेशनल चिल्ड्रेन्स फिल्म फेस्टिवल में यह उद्घाटन फिल्म के रूप में भी प्रदर्शित की जाएगी।
वर्कशॉप में ध्रुव हर्ष की फिल्म निर्माण पर सीख

स्क्रीनिंग के बाद ध्रुव हर्ष ने एक विशेष वर्चुअल वर्कशॉप का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने पटकथा लेखन, छायांकन, निर्देशन और संपादन की बारीकियों को साझा किया। उन्होंने कहा, “फिल्म केवल कहानी कहने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज पर प्रभाव डालने की ताकत रखती है। अगर हम फिल्मों के जरिए सही मुद्दों को उठाएं, तो यह लोगों की सोच बदलने में मदद कर सकती हैं।”
उन्होंने नए फिल्म निर्माताओं को सलाह देते हुए कहा, “आज के दौर में तकनीक और संसाधनों की कमी बहाना नहीं हो सकती। अगर आपके पास एक सशक्त विचार है, तो मोबाइल से भी बेहतरीन फिल्म बनाई जा सकती है। असली चीज़ है कहानी की आत्मा और उसकी सच्चाई।”
कार्यक्रम में CEC के समन्वयक प्रो. मोहम्मद नावेद खान ने सिनेमा की सामाजिक भूमिका पर चर्चा की और इस तरह के आयोजनों को बढ़ावा देने की बात कही। यूनिवर्सिटी फिल्म क्लब की अध्यक्ष डॉ. फाजिला शहनवाज के नेतृत्व में इस आयोजन को सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। सचिव मोहम्मद सलमान और उनकी टीम ने पूरे कार्यक्रम को व्यवस्थित किया।
ध्रुव हर्ष, जो वर्तमान में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में पोस्ट-डॉक्टोरल रिसर्च कर रहे हैं, इससे पहले इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पीएचडी कर चुके हैं। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), जामिया मिलिया इस्लामिया, इलाहाबाद विश्वविद्यालय और AMU में अपने शोध कार्य और फिल्मों का प्रदर्शन किया है। उनकी अन्य चर्चित फिल्मों में ऑनरेबल मेंशन, हर्षित (जो शेक्सपियर के ‘हैमलेट’ से प्रेरित है) और डू आई एग्जिस्ट: ए रिडल शामिल हैं।
‘द लास्ट स्केच’ पर काम कर रहे हैं ध्रुव हर्ष
ध्रुव हर्ष अपनी नई फिल्म द लास्ट स्केच की रिलीज़ की तैयारी कर रहे हैं, जो कोलकाता के हाथ-रिक्शा चालकों के जीवन पर आधारित है। AMU में स्क्रीनिंग और वर्कशॉप को लेकर उन्होंने कहा, “मैं हमेशा से चाहता था कि इल्हाम AMU में प्रदर्शित हो, ताकि यहां के दर्शकों से वास्तविक प्रतिक्रिया मिल सके। मैं बेहद आभारी हूं कि यूनिवर्सिटी फिल्म क्लब और CEC ने इसे अपने प्रतिष्ठित मंच पर जगह दी।”
कार्यक्रम का समापन सय्यद ज़ैनब रईस के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें ध्रुव हर्ष, फिल्म क्लब की टीम और सभी उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया गया। विश्वविद्यालय फिल्म क्लब भविष्य में भी इस तरह के फिल्म स्क्रीनिंग और वर्कशॉप आयोजित कर सिनेमा के प्रति जागरूकता और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करता रहेगा।