पूर्व नपा अध्यक्ष व परिजनों की करीब 61 करोड़ की संंपत्ति राजसात

ललितपुर। समाजसेवा से राजनीति मेंं उतरे खटीक समाज के बड़े नेता के रूप में रमेश खटीक का नाम लिया जाता है। अपने राजनैतिक जीवन में कई राजनैतिक पार्टियों में रहकर कई उतार चढ़ाव देख चुके है, लेकिन सत्ताधारी मंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ने का निर्णय राजनैतिक पतन का बड़ा कारण माना जा रहा है और इसी घटनाक्रम में गैंगस्टर के आरोप में कुर्क संपत्ति को जिलाधिकारी अक्षय त्रिपाठी ने आरोपियों द्वारा जमा आरटीआर निरीक्षण उपरांत एक सम्पत्ति माना और अवमुक्त कराने के आवेदन को गत दिवस निरस्त कर दिया है।

बताते चले कि तत्कालीन जिलाधिकारी आलोक सिंह ने पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रमेश खटीक पुत्र मटरू लाल खटीक को गैंग लीडर, जिला पंचायत सदस्य राजकुमार खटीक, जितेंद्र खटीक पुत्रगण रमेश खटीक, पुत्रवधू पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जयश्री उर्फ पिंकी पत्नी जितेंद्र खटीक निवासी मोहल्ला सुभाषपुरा पर गैंगस्टर एक्ट के आरोप में 2/3 गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम की धारा 14(1) के तहत चल अचल संपत्ति कुर्क करने का आदेश जारी किया था, जिसको रिलीज कराने के लिए 10 मार्च 2023 को किये गये आवेदन को जिलाधिकारी ललितपुर ने गत दिवस खारिज कर दिया है।

यह संपत्ति हुई राजसात –

इसमें रमेश खटीक की करीब 41 करोड़ रुपये की संपत्ति, जितेंद्र खटीक की करीब 4 करोड़ 58 लाख रुपये की संपत्ति, राजकुमार खटीक की साढ़े आठ करोड़ रुपये की संपत्तिे, जयश्री उर्फ पिंकी की करीग 8 करोड़ रुपये की संपत्ति सहित कुल 61 करोड़ 2 लाख 23 हजार 623 रुपये 66 पैसे कीमत की चल अचल संपत्ति को राजसात कर लिया गया है।

थामा था भाजपा का दामन –

रमेश खटीक ने लोकसभा 2024 की चुनावी हलचल में भाजपा का थाम लिया था और मानकर चल रहे थे कि सत्ता की वैतरणी में नाव पार लग जाएगी। लेकिन निराशा ही हाथ लगी।

न्यायालय में लगेगी गुहार –

करीबी सूत्रों ने बताया कि रमेश खटीक पूर्व से ही मानकर चल रहे थे कि जिला प्रशासन से उन्हें शायद ही राहत मिले। इसीलिए विधिक क्रम में न्यायालय की शरण लेंगे।

खटीक समाज की बढ़ सकती है नाराजगी –

खटीक समाज के बड़े नेता के रूप रुतबा रखने वाले रमेश खटीक व उनके परिजनों के खिलाफ इस कार्यवाही को लेकर खटीक समाज में खासा रोष है। लेकिन राजनैतिक विश्लेषकाें का मानना है निकटतम कोई चुनाव न होने के कारण भाजपा को कोई विशेष नुकसान नहीं होगा, लेकिन सत्तासीन मंत्री की लोकप्रियता अवश्य घटेगी।

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