
तेलंगाना टनल हादसे के 16वें दिन रेस्क्यू टीम को पहला शव मिला। सर्चिंग के दौरान बॉडी गाद में 10 फीट नीचे एक मशीन में फंसी हुई थी। उसका केवल हाथ नजर आ रहा था। इसके बाद मशीन काट कर बॉडी निकाली गई।
रेस्क्यू में जुटे एक अधिकारी ने बताया कि बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए नागरकुर्नूल सिविल अस्पताल भेजा गया। अन्य 7 मजदूरों की तलाश जारी है। रोबोट्स और स्निफर डॉग्स की मदद ली जा रही है।
राज्य के सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने बताया कि 7 मार्च को स्निफर डॉग्स (खोजी कुत्ते) को टनल में ले जाया गया था। खोजी कुत्तों ने खास जगह पर तेज गंध (इंसान की गंध) का पता लगाया था।
उन्होंने कहा कि तीन लोगों के होने की आंशका है। इसके बाद से वहां पर जमा गाद और मलबा हटाया जा रहा है। मजदूरों की तलाश में 525 कर्मी लग हुए हैं।
श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल का एक हिस्सा 22 फरवरी को धंस गया था। इस वजह से अंदर काम कर रहे 8 मजदूर फंस गए थे। राज्य सरकार ने कहा था कि उनके बचने की संभावना बहुत हम है, लेकिन हम हर संभव प्रयास करेंगे।
5 साल पहले चेतावनी दी थी, कोई एक्शन नहीं लिया गया 2020 में एमबर्ग टेक एजी नाम की कंपनी ने टनल का सर्वे किया था। कंपनी ने टनल में कुछ फॉल्ट जोन और कमजोर चट्टानों के खतरे को लेकर अलर्ट किया था। सर्वे रिपोर्ट टनल बनाने वाली कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड को भी दी गई थी।
रिपोर्ट में बताया गया था कि 14 किमी लंबी टनल के 13.88 किमी से 13.91 किमी के हिस्से की चट्टानें कमजोर हैं। इस हिस्से में पानी भी भरा हुआ है। जमीन खिसकने का भी खतरा है। बचावकर्मियों के मुताबिक जिस हिस्से को रिपोर्ट में खतरनाक बताया गया था, वही हिस्सा गिरा है।
हालांकि राज्य सरकार के सिंचाई विभाग को इसकी जानकारी थी या नहीं, यह साफ नहीं है। सिंचाई विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि उन्हें ऐसी किसी रिपोर्ट की जानकारी नहीं है।
काम छोड़कर जा रहे मजदूर रिपोर्ट्स के मुताबिक हादसे के बाद टनल में काम कर रहे कुछ मजदूर डर के कारण काम छोड़कर चले गए हैं। सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) प्रोजेक्ट में 800 लोग काम कर रहे हैं।
इनमें से 300 लोकल और बाकी झारखंड, ओडिशा और उत्तर प्रदेश से हैं। अधिकारी ने यह भी कहा कि शुरुआत में मजदूरों में डर जरूर है। हालांकि कंपनी ने उनके लिए आवासीय कैंप बनाए हैं। कुछ लोग वापस जाना चाह सकते हैं, लेकिन हमारे पास इस बात की कोई रिपोर्ट नहीं है कि सभी मजदूर एक साथ छोड़कर जा रहे हैं।
सुरंग में हर मिनट 5 से 8 हजार लीटर पानी आ रहा सोशल एक्टिविस्ट नैनाला गोवर्धन से ने दैनिक भास्कर को बताया कि टनल की ऊपरी स्लैब से हर मिनट 5 से 8 हजार लीटर पानी गिर रहा है। इस खतरे का सही अनुमान लगाने में रॉबिन्सन और जेपी जैसी कंपनियां ही नहीं, तेलंगाना सिंचाई विभाग भी फेल रहा है। यही SLBC प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी नाकामी है।
गोवर्धन के मुताबिक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की कालेश्वरम डैम प्रोजेक्ट और पोलावरम सिंचाई योजना में नियमों की अनदेखी हुई। यहां 460 करोड़ की लागत से बनी डायफ्रॉम वॉल ध्वस्त हो गई। मेडिगड्डा और अन्नारम में करोड़ों की विदेशी मोटर टूट चुकी हैं। अब यही चीजें SLBC टनल प्रोजेक्ट में सामने आ रही हैं।