ब्रेस्ट पकड़ना और नाड़ा खोलना रेप नहीं… इलाहाबाद HC के फैसले पर SC ने लगाई रोक

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस विवादास्पद फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि नाबालिग लड़की के स्तन दबाने और अन्य आक्रामक हरकतों को बलात्कार या बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. इस फैसले के खिलाफ देशभर में आलोचना होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया और केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया.

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह शामिल थे, ने हाईकोर्ट की टिप्पणी को ‘संवेदनहीन’ करार दिया. कोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराधों को कमतर आंकना समाज में गलत संदेश भेज सकता है और पीड़िता को न्याय मिलने में बाधा बन सकता है. हाईकोर्ट के फैसले में संवेदनशीलता की कमी को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित आदेश के कुछ अंशों पर तुरंत रोक लगा दी. 

11 वर्षीय बच्ची से छेड़छाड़ का था आरोप

यह मामला दो आरोपियों, पवन और आकाश, से जुड़ा है, जिन पर 11 वर्षीय बच्ची से छेड़छाड़ का आरोप है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा लगाए गए बलात्कार के प्रयास के आरोप को कमजोर कर, आरोपियों पर कम गंभीर धाराएं लगाने का निर्देश दिया था. इस फैसले से आम जनता और कानूनी विशेषज्ञों में रोष फैल गया, जिसके चलते मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. 

केंद्र और राज्य सरकार मांगा गया जवाब

सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टे लगाए जाने के बाद, केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है. अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से इस मामले में सहयोग करने को कहा गया है ताकि इसकी व्यापक समीक्षा की जा सके. यह मामला भारत में लैंगिक अपराधों और बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों पर कानून के सख्त क्रियान्वयन की जरूरत को दर्शाता है.

पीड़िता की मां की वकील ने क्या कहा?

पीड़िता की मां की वकील रचना त्यागी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के 17 मार्च के फैसले पर स्वतः संज्ञान लिया. उन्होंने कहा कि जिस घटना में नाबालिग के साथ इस तरह की हरकतें हुईं, उसे बलात्कार के प्रयास के तहत न मानना चौंकाने वाला था. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की टिप्पणी को असंवेदनशील बताते हुए इस पर तुरंत रोक लगा दी, जिससे पीड़िता को न्याय की उम्मीद जगी है.

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