
न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC ) में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर बंद कमरे में एक महत्वपूर्ण चर्चा हुई। यह बैठक ऐसे समय में हुई जब संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों परमाणु संपन्न पड़ोसी देशों के बीच तनाव को वर्षों में सबसे अधिक बताया और इसे “खतरनाक मोड़” पर पहुंचने की चेतावनी दी।
सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य पाकिस्तान ने इस बैठक के लिए “बंद विचार-विमर्श” का अनुरोध किया था, जो सुरक्षा परिषद के मुख्य कक्ष के बजाय बगल के ‘कंसल्टेशन रूम’ में हुई, जहां आमतौर पर गोपनीय बातचीत होती है।
महासचिव गुटेरेस ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की, जिसमें 26 नागरिकों की मौत हुई थी। उन्होंने कहा कि नागरिकों को निशाना बनाना अस्वीकार्य है और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। गुटेरेस ने दोनों देशों से संयम बरतने और सैन्य टकराव से बचने की अपील की। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय है कि दोनों देश पीछे हटें और बातचीत की राह पर लौटें, क्योंकि सैन्य समाधान कोई समाधान नहीं हो सकता।
पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि आसिम इफ्तिखार अहमद ने बैठक के बाद प्रेस वार्ता की और दावा किया कि यह चर्चा पाकिस्तान के “अधिकतर उद्देश्यों को पूरा करने” में सफल रही। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अमन का पक्षधर है और बातचीत के लिए हमेशा तैयार है।
इफ्तिखार ने कहा कि कई सुरक्षा परिषद के सदस्य इस बात पर सहमत थे कि तमाम मुद्दों को शांति से हल किया जाना चाहिए, वो भी यूएनएससी प्रस्तावों और कश्मीरी अवाम की मर्ज़ी के मुताबिक, जिसमें कश्मीर का मुद्दा भी शामिल है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत ने 23 अप्रैल को जो “एकतरफा और गैरकानूनी” कदम उठाए, साथ ही सैन्य जमावड़ा और भड़काऊ बयान दिए, वे तनाव को खतरनाक स्तर तक ले गए हैं।
पाकिस्तान ने भारत के उस आरोप को “बेसलेस” बताया जिसमें उसे पहलगाम आतंकी हमले का जिम्मेदार ठहराया गया था। इफ्तिखार ने कहा कि पाकिस्तान और सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य इस हमले की निंदा कर चुके हैं।
पाकिस्तान ने भारत द्वारा सिंधु जल संधि को एकतरफा निलंबित करने के फैसले को भी बैठक में गंभीरता से उठाया। उन्होंने याद दिलाया कि यह संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता में बनी थी और युद्धों के दौरान भी बरकरार रही थी। पाकिस्तानी दूत ने कहा, “पानी ज़िंदगी है, हथियार नहीं। ये नदियां 24 करोड़ पाकिस्तानियों की ज़रूरतें पूरी करती हैं। अगर इनके बहाव को बाधित किया गया, तो यह सीधी आक्रामकता होगी, जो हर निम्न प्रवाही देश के लिए ख़तरा बन सकती है।”
इफ्तिखार ने कहा कि पाकिस्तान टकराव नहीं चाहता, लेकिन अगर ज़रूरत पड़ी तो अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की हिफाजत के लिए पूरी तरह तैयार है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 में उल्लेख है।
भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने पीटीआई से कहा कि इस बैठक से किसी “ठोस नतीजे” की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस मंच का इस्तेमाल करके केवल ‘धारणाएं गढ़ने’ की कोशिश कर रहा है, जिसका भारत उचित जवाब देगा।