इमरान खान खबरों से गायब, भारत से तनाव बढ़ाकर मुनीर ने चली ये चाल

इस्लामाबाद । पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के अध्यक्ष गोहर अली खान ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार से पीटीआई के साथ भी संघर्ष विराम की अपील की है। वहीं पीटीआई को इस बात का डर है कि इमरान की हत्या कराई जा सकती है। इमरान के करीबी डा सलमान का दावा है कि भारत से संघर्ष के बीच ऐसा करने की कोशिश की गई।

जेल के ऊपर ड्रोन उड़ते हुए दिखे। हालांकि पाकिस्तानी सेना के जनरल असीम मुनीर और इमरान खान में बिल्कुल भी नहीं बनती है। यही कारण है कि पाकिस्तान की मीडिया से इमरान खान पूरी तरह गायब हैं। रविवार को पाकिस्तानी अखबार और मीडिया आउटलेट में इमरान खान से जुड़ी कोई भी खबर नहीं देखने को मिली। सीजफायर को प्रमुखता दी गई, जबकि सबसे बड़ी खबर यही है कि उन्हें जेल में मारने से जुड़ी कोशिश की गई। लंबे समय से इमरान खान सेना की पहली पसंद रहे हैं। लेकिन अप्रैल 2022 में उन्हें अविश्वास मत से हटा दिया गया। तकनीकी रूप से यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया लग रही थी, लेकिन असल बात है कि सेना उनके ऊपर कंट्रोल नहीं कर पा रही थी। हटाने के बाद उन्हें जेल में डाला गया और उनकी स्पीच प्रतिबंधित कर दी गई।

भारत से तनाव के बीच पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला दिया, जिससे इमरान की किस्मत जनरल मुनीर के हाथों में चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि नागरिक मुकदमों को सैन्य अदालतों में चलाया जा सकता है। 9 मई 2023 को इमरान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में दंगे हुए थे। इसमें पीटीआई के कार्यकर्ता आरोपी हैं, जिनका अब सैन्य अदालत में ट्रायल किया जाएगा। पीटीआई के लोग मानते हैं कि यह फैसला उनकी सरकार को दबाने के लिए हैं।

इमरान को जनता का सपोर्ट है, जिससे सेना डरती है। उसे हमेशा इस बात का खतरा है कि इमरान जैसा नेता उसकी ताकत कम कर सकता है।पाकिस्तान में सेना जो चाहती है वही होता है। आज शहबाज को समर्थन है तो वो पीएम बने हैं। इमरान को भी सेना का समर्थन था, लेकिन जैसे ही सेना ने अपना हाथ हटाया वह सत्ता से गायब हो गए। सेना का दबदबा कितना है वह इसी बात से समझा जा सकता है कि अमेरिका के विदेश मंत्री सीधे जनरल मुनीर को फोन करते हैं।

हालांकि खान इकलौते नहीं हैं जिन्हें सेना ने हटाया। पाकिस्तान का राजनीतिक इतिहास कुछ इसी तरह है। पाकिस्तान के बनने के बाद से ही जिसने सेना की नहीं सुनी या तो उसे मौत मिली या फिर जेल। जुल्फिकार अली भुट्टो और नवाज शरीफ ऐसा ही नाम हैं। परवेज मुशर्रफ ने तो 21वीं सदी में पाकिस्तान का तख्तापलट कर दिया था। माना जा रहा है कि असीम मुनीर भी कुछ ऐसा करना चाहते हैं।

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