पाकिस्तान के खिलाफ बलोचों की हुंकार: आज़ादी का बिगुल और भारत से उम्मीदें

Balochistan: भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच बलोचिस्तान से भारत के समर्थन में बड़ी आवाज उठी है. बलोच नेता मीर यार बलोच ने जोर देकर कहा है कि बलोचिस्तान कभी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं रहा. उन्होंने भारतीय मीडिया से अपील की है कि बलोचों को “पाकिस्तान का अपना नागरिक” कहना बंद किया जाए. मीर यार बलोच ने बलोचिस्तान के ऐतिहासिक स्वतंत्रता दिवस 11 अगस्त 1947 का हवाला देते हुए यह दावा किया. बलोचिस्तान लंबे समय से पाकिस्तानी सेना और सरकार द्वारा कथित अत्याचारों का शिकार रहा है. मीर यार बलोच का कहना है कि पंजाबियों की तरह बलोचों ने कभी शांति नहीं देखी, बल्कि उन्हें हवाई हमलों, जबरन गायब किए जाने और नरसंहार का सामना करना पड़ा है.

बलोच नेता की भारत से अपील

बलोच नेता मीर यार बलोच ने बुधवार को एक साक्षात्कार और अपने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से कहा, “हमने 11 अगस्त 1947 को ही अपनी आज़ादी की घोषणा कर दी थी, जब ब्रिटिश भारत से रवाना हो रहे थे. बलोचिस्तान कभी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं था, न है और न रहेगा.” उन्होंने आगे कहा, “प्रिय भारतीय देशभक्त मीडिया, यूट्यूब पर काम कर रहे साथियों और भारत की रक्षा के लिए लड़ रहे बुद्धिजीवियों से निवेदन है कि बलोचों को ‘पाकिस्तान के अपने लोग’ कहना बंद करें. हम पाकिस्तानी नहीं, बलोचिस्तानी हैं.”

भारत को दिया समर्थन

भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव के बीच, खासकर पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों द्वारा सैन्य अभियानों की शुरुआत के समय, मीर यार बलोच ने भारत का खुलकर समर्थन किया. उन्होंने कहा कि बलोचिस्तान और उसके लोग भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा, “चीन पाकिस्तान की मदद कर रहा है, लेकिन बलोचिस्तान और इसके लोग भारत सरकार @narendramodi जी के साथ हैं. मोदी जी, आप अकेले नहीं हैं. आपके साथ 60 मिलियन बलोच देशभक्त हैं.”

पाकिस्तान में गहराता संकट

जहां एक ओर पाकिस्तान गंभीर आर्थिक और सुरक्षा संकट से जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर बलोचिस्तान में मानवाधिकार हनन की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. यहां के नागरिकों को जबरन लापता किए जाने, फर्जी मुठभेड़ों और अभिव्यक्ति की आज़ादी को दबाने जैसी घटनाएं आम हो चुकी हैं. बलोचिस्तान में पत्रकारिता पर प्रतिबंध, इंटरनेट ब्लैकआउट और सेना के कठोर रवैये ने वहां के लोगों की आवाज को दुनिया से लगभग काट दिया है. मीर यार बलोच की यह आवाज उसी घुटन भरे माहौल से निकली एक दहाड़ है, जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय और भारत के लिए एक स्पष्ट संदेश है.  

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