
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है. पहले जापान और दक्षिण कोरिया पर 25% टैरिफ लगाने के एलान के बाद अब ट्रंप ने म्यांमार, लाओस, दक्षिण अफ्रीका, कजाकिस्तान और मलेशिया जैसे पांच और देशों पर भारी शुल्क लगाने की घोषणा कर दी है. उनका कहना है कि यह कदम अमेरिका के बढ़ते व्यापार घाटे को खत्म करने के लिए जरूरी है.
यह टैरिफ नीति अब केवल एशियाई देशों तक सीमित नहीं रही, बल्कि अफ्रीका और सेंट्रल एशिया तक भी फैल गई है. ट्रंप ने दो टूक कहा है कि जो देश अमेरिका में निर्माण करेंगे, उन्हें किसी टैरिफ का सामना नहीं करना पड़ेगा. उनके इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार के समीकरणों में बड़ा भूचाल ला दिया है.
‘ट्रेड डेफिसिट हटाना है, इसलिए टैरिफ ज़रूरी’
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर जापान के प्रधानमंत्री ईशीबा शिगेरू और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे-म्युंग को भेजे गए पत्रों के स्क्रीनशॉट साझा किए. इन पत्रों में उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका इन देशों से आने वाले सभी उत्पादों पर अलग से 25% टैरिफ लगाएगा.यदि कोई कंपनी इन टैरिफ से बचने के लिए उत्पाद को किसी अन्य देश से ट्रांजिट कर भेजेगी, तो उस पर उच्च टैरिफ दर लागू होगी.
( @realDonaldTrump – Truth Social Post )
— Donald J. Trump 🇺🇸 TRUTH POSTS (@TruthTrumpPosts) July 7, 2025
( Donald J. Trump – Jul 07, 2025, 12:19 PM ET ) pic.twitter.com/BRvhZMNPz0
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर कहा कि, हम जापान और कोरिया से आने वाले किसी भी उत्पाद पर 1 अगस्त 2025 से 25% टैरिफ लगाएंगे, यह दर सेक्टोरल टैरिफ से अलग होगी। यह दरें उस असंतुलन को खत्म करने के लिए काफी नहीं हैं जो ट्रेड डेफिसिट के रूप में मौजूद है.
चेतावनी भी दी: ‘अगर जवाबी कार्रवाई की, तो और टैरिफ लगेगा’
ट्रंप ने दोनों देशों को चेताया कि यदि वे अमेरिका पर जवाबी शुल्क लगाते हैं, तो अमेरिका उन अतिरिक्त शुल्कों पर फिर से टैक्स लगाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर जापान और कोरिया की कंपनियां अमेरिका में आकर उत्पादन करती हैं, तो उन्हें किसी भी तरह का टैरिफ नहीं देना होगा. अगर आपकी कंपनियां अमेरिका में उत्पादन करती हैं, तो कोई टैरिफ नहीं लगेगा। हम अनुमति प्रक्रिया को हफ्तों में निपटाएंगे.’डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले को विशेषज्ञ 2024 अमेरिकी चुनाव के मद्देनजर आर्थिक राष्ट्रवाद का एक और संकेत मान रहे हैं. अमेरिका की ट्रेड पॉलिसी एक बार फिर चुनावी बहस का मुद्दा बनने वाली है.