कविता पर बवाल : कांवड़ न ले जाने की सलाह देने वाले कौन है शिक्षक रजनीश गंगवार? जब वीडियो हुआ वायरल…

Kanwar Yatra 2025: हिंदुओं के लिए कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है. हर साल सावन मास में हरिद्वार, गंगोत्री समेत अन्य पवित्र स्थल से गंगाजल लाकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जाता है. इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक शख्स कांवड़ यात्रा न करने की सलाह दे रहे हैं. यह कोई और नहीं बल्कि शिक्षक रजनीश गंगवार हैं.

बरेली के बहेड़ी में महाकाल सेवा समिति की शिकायत पर पुलिस ने रजनीश गंगवार के खिलाफ मामला दर्ज किया है. वह वीडियो में कांवड़ न ले जाने को लेकर कविता गा रहे हैं. वीडियो वायरल होने पर लोग इसका विरोध करने लगे. लोगों ने गंगवार पर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया है.

कौन हैं रजनीश गंगवार?

रजनीश गंगवार एमजीएम इंटर कॉलेज में हिंदी के प्रवक्ता हैं. साथ ही NSS कार्यक्रम अधिकारी भी हैं. उनकी कविता को लेकर अब हिंदू संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है. गंगवार ने कहा, मैं एमजीएम इंटर कॉलेज बहेड़ी में स्थायी रूप से अध्यापन कार्य कर रहा हूं. मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में पीएचडी हूं. मेरे समय-समय पर कविताएं एवं लेख आकाशवाणी, दूरदर्शन और समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहते हैं.

पुलिस का बयान

गंगवार की कविता को लेकर हंगामे पर पुलिस का बयान सामने आया है. बहेड़ी के क्षेत्राधिकारी अरुण कुमार ने कहा, एमजीएम इंटर कॉलेज में शिक्षक रजनीश गंगवार ने कॉलेज प्रांगण में छात्रों को इकट्ठा कर कविता पाठ के माध्यम से कांवड़ यात्रा पर आपत्तिजनक टिप्पणी की. वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. थाने में तहरीर मिली है. मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और आवश्यक कानूनी कार्यवाही की जा रही है.

कविता पर बवाल

रजनीश गंगवार ने कहा था कि तुम कांवड़ लेने मत जाना. ज्ञान का दीप जलाना गीत गाया था. मानवता की सेवा करके, तुम सच्चे मानव बन जाना. कांवड़ ले जाकर कोई एसपी-डीएम नहीं बना है. उनकी इस कविता की सोशल मीडिया पर आलोचना की जा रही है. वीडियो पर तरह-तरह के कमेंट भी आ रहे हैं.

विवाद होने पर शिक्षक ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग मुझसे ईर्ष्या-द्वेष के चलते झूठे आरोप लगाकर मुझे बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं. मेरा मकसद केवल छात्र-छात्राओं को शिक्षा और उनके जीवन के उद्देश्यों के प्रति जागरूक करना है. मैं किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना नहीं चाहता.

 

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