मानसिक उत्पीड़न से टूटी ज्योति, शारदा यूनिवर्सिटी की छात्रा की आत्महत्या के बाद छात्रों का हंगामा, दो शिक्षक सस्पेंड

ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी में बीडीएस सेकंड ईयर की छात्रा ज्योति शर्मा की आत्महत्या ने एक बार फिर उच्च शिक्षा संस्थानों में मानसिक प्रताड़ना और प्रशासनिक उदासीनता की सच्चाई को उजागर कर दिया है. 21 वर्षीय ज्योति, जो गुरुग्राम की रहने वाली थी, शुक्रवार शाम अपने हॉस्टल के कमरे में पंखे से लटकी मिली. सुसाइड नोट में उसने स्पष्ट रूप से दो शिक्षकों महेंद्र सर और शार्ग मैम को जिम्मेदार ठहराया है.

ज्योति के सुसाइड नोट ने पूरे मामले को बेहद संवेदनशील बना दिया है. उसमें लिखा था, “अगर मेरी मौत हुई तो इसके लिए PCP और डेंटल मेडिकल के टीचर जिम्मेदार होंगे. उन्होंने मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, अपमानित किया. मैं उनकी वजह से लंबे समय से डिप्रेशन में हूं.” उसने शिक्षकों के जेल भेजे जाने की मांग की. बवाल के बाद दो टीचरों को सस्पेंड कर दिया गया है.

छात्रों का आक्रोश

ज्योति की मौत के बाद यूनिवर्सिटी परिसर में माहौल तनावपूर्ण हो गया. छात्रों ने शव मिलने के बाद प्रदर्शन शुरू कर दिया. यूनिवर्सिटी प्रशासन और पुलिस पर आरोप लगाते हुए उन्होंने जुलूस निकाला, न्याय की मांग की और नारेबाज़ी की. जब पुलिस छात्रों को समझाने की कोशिश कर रही थी, तब दोनों पक्षों के बीच नोकझोंक भी हो गई.

फेक साइन का आरोप

छात्रों के मुताबिक, ज्योति पर एक दस्तावेज़ पर फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया गया था. उसे तीन दिन तक विभाग से भगाया गया. HOD ने माता-पिता को बुलाने को कहा, जिससे वह मानसिक रूप से टूट गई. शुक्रवार शाम वह रोती हुई दिखी और कहा गया कि उसे फेल करने की धमकी दी जा रही थी. ये घटनाएं उसकी मानसिक स्थिति पर भारी पड़ीं.

वार्डन की भूमिका पर सवाल

एक छात्रा ने दावा किया कि वार्डन ने सुसाइड नोट को छिपाने की कोशिश की. घटना के समय वार्डन, इंटर्न और मेडिकल स्टाफ ने छात्रा की नाड़ी तक चेक नहीं करने दी. छात्रों का आरोप है कि प्रबंधन ने मामले को दबाने की कोशिश की. यह व्यवहार केवल अनदेखी नहीं, एक तरह की क्रूरता है.

परिजन की शिकायत पर दो हिरासत में

परिजनों की तहरीर के आधार पर पुलिस ने दो शिक्षकों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है. एडिशनल DCP सुधीर कुमार के अनुसार, पूरे मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है. इस घटना ने न केवल शिक्षा प्रणाली बल्कि हॉस्टल प्रबंधन, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और जिम्मेदारी की समझ पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

 

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