
बिहार के राजनीतिक गलियारों में तेजस्वी यादव का दो वोटर आईडी रखने का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। लेकिन यह सिर्फ एक नेता का मामला नहीं है — यह आम जनता के लिए भी एक चेतावनी है।
कई लोग सुविधा या अनजाने में एक ही सरकारी दस्तावेज़ दो बार बनवा लेते हैं — जैसे दो आधार कार्ड, दो पैन कार्ड या दो वोटर आईडी। मगर क्या आप जानते हैं, यह कानूनन अपराध है, और इसके लिए जेल और जुर्माना दोनों हो सकता है?
चलिए समझते हैं कि कौन-कौन से दस्तावेज़ों का डुप्लीकेट बनवाना गैरकानूनी है, और अगर गलती से ऐसा हो जाए तो क्या करना चाहिए।
दो वोटर आईडी रखना अपराध क्यों है और सजा क्या है?
वोटर आईडी केवल मतदान के लिए नहीं, बल्कि पहचान के लिए भी जरूरी होता है। कई बार लोग एक राज्य से दूसरे राज्य में शिफ्ट होने के बाद नए पते पर दोबारा वोटर कार्ड बनवा लेते हैं। इससे उनके पास दो अलग-अलग EPIC नंबर हो जाते हैं — जो Representation of the People Act, 1950 के तहत अपराध है।
सजा:
➡️ एक साल तक की जेल
➡️ जुर्माना
तेजस्वी यादव के मामले में भी यही सवाल है — क्या उनके पास दो विधानसभा क्षेत्रों के लिए अलग-अलग वोटर आईडी हैं?
दो आधार कार्ड बनवाना गंभीर अपराध क्यों है?
आधार कार्ड एक यूनिक बायोमेट्रिक पहचान पत्र है। UIDAI का साफ निर्देश है कि एक व्यक्ति के पास सिर्फ एक आधार कार्ड होना चाहिए।
अगर कोई व्यक्ति फर्जी तरीके से दूसरा आधार बनवाता है या किसी और का आधार इस्तेमाल करता है, तो यह Identity Fraud माना जाता है।
सजा:
➡️ तीन साल की जेल
➡️ एक लाख रुपये तक का जुर्माना
आधार में बायोमेट्रिक सिस्टम होने के कारण दो कार्ड बनवाना मुश्किल है, लेकिन अगर किसी तरह ऐसा हो जाए — तो सख्त कार्रवाई तय है।
पैन कार्ड दो होने पर क्या होता है?
पैन कार्ड टैक्स से जुड़ा जरूरी दस्तावेज़ है। अगर किसी के पास दो पैन कार्ड पाए जाते हैं — तो इसे टैक्स फ्रॉड या पहचान छुपाने की कोशिश माना जाता है।
Income Tax Act, 1961 की धारा 272B के तहत:
➡️ ₹10,000 का जुर्माना
➡️ टैक्स चोरी और फाइनेंशियल फ्रॉड की जांच हो सकती है
सरकार अब PAN 2.0 जैसी डिजिटल टेक्नोलॉजी से दोहरे पैन कार्ड रखने वालों की पहचान आसानी से कर रही है।
अगर आपके पास दो दस्तावेज़ हैं, तो क्या करें?
अगर अनजाने में आपने दो आधार, पैन या वोटर आईडी बनवा लिए हैं — तो घबराने की नहीं, सुधार की ज़रूरत है। तुरंत ये कदम उठाएं:
- एक दस्तावेज़ को सरेंडर करें — संबंधित विभाग की वेबसाइट या कार्यालय पर जाकर
- डुप्लीकेट रद्द कराने के लिए ऑनलाइन आवेदन करें
- खुद पहल करें, ताकि आप पर जुर्माना या केस न बने
- झूठी जानकारी देने से बचें — ये अपराध की श्रेणी में आता है