बांके बिहारी मंदिर विवाद में SC ने दिया यूपी सरकार को बड़ा झटका, कॉरिडोर के लिए मंदिर फंड के इस्तेमाल की अनुमति रद्द

-नई समिति गठित, राज्य सरकार के अध्यादेश पर भी रोक
-उच्चतम न्यायालय ने अपने पूर्व आदेश को लिया वापस

नई दिल्ली । मथुरा स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर परियोजना को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को अपने 15 मई 2025 के उस आदेश को वापस ले लिया, जिसमें यूपी सरकार को मंदिर ट्रस्ट के 500 करोड़ रुपये के फंड का इस्तेमाल कॉरिडोर निर्माण के लिए करने की अनुमति दी गई थी।

यह फैसला जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सुनाया। कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन के लिए एक नई निगरानी समिति के गठन का निर्देश भी दिया है, जिसकी अध्यक्षता इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे। दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार वृंदावन स्थित प्राचीन और श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र श्री बांके बिहारी मंदिर के चारों ओर एक व्यापक कॉरिडोर बनाना चाहती है। इस परियोजना के तहत मंदिर आने वाले हर सप्ताह लाखों श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं विकसित करने की योजना है। सरकार ने मंदिर के फंड से 500 करोड़ रुपये इस परियोजना में लगाने की अनुमति सुप्रीम कोर्ट से मांगी थी, जिसे कोर्ट ने पहले मंजूरी दे दी थी। हालांकि, अब कोर्ट ने उस आदेश को वापस लेने का निर्णय लिया है।

सरकारी अध्यादेश पर भी रोक
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक ‘बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025’ पारित कर, मंदिर प्रबंधन के लिए एक समिति गठित करने की कोशिश की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाते हुए कहा कि सरकार अब कोई नई समिति नहीं बनाएगी, जब तक अध्यादेश की वैधता पर निर्णय नहीं हो जाता। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को अध्यादेश की वैधता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देने की अनुमति दी है।

निगरानी समिति का गठन
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के दैनिक प्रबंधन और निगरानी के लिए एक अस्थायी समिति गठित करने का निर्णय लिया है। इस समिति में एक रिटायर्ड हाईकोर्ट जज (अध्यक्ष), जिला कलेक्टर, राज्य सरकार के नामित अधिकारी और हरिदासी संप्रदाय का एक प्रतिनिधि होगा। पीठ ने स्पष्ट किया कि विस्तृत आदेश शनिवार तक सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा।

सुनवाई में क्या कहा कोर्ट ने?
उच्चतम अदालत की पीठ ने कहा, कि हम समन्वय पीठ के पिछले आदेश को संशोधित कर रहे हैं ताकि याचिकाकर्ताओं के अधिकारों और प्रभाव को सुरक्षित किया जा सके। राज्य सरकार द्वारा मंदिर प्रशासन को नियंत्रित करने के फैसले पर स्थगन जारी रहेगा। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि राज्य सरकार ने मंदिर निधि के उपयोग की अनुमति एक लंबित सिविल विवाद में गुप्त तरीके से प्राप्त की थी, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी।

पारंपरिक प्रबंधन पर बरकरार रहेगा नियंत्रण
कोर्ट ने यह भी माना कि श्री बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन 1939 की पारंपरिक व्यवस्था के तहत अब तक एक निजी ट्रस्ट द्वारा किया जाता रहा है। ऐसे में जब तक अध्यादेश की वैधता पर निर्णय नहीं हो जाता, मंदिर का प्रशासन कोर्ट द्वारा गठित अस्थायी समिति के अधीन रहेगा।

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