
– डेढ़ साल पहले हत्या के जुर्म में जाजमऊ से जेल भेजा गया था
– खोजबीन में जेल का कोना-कोना रात दो बजे तक तलाशा गया
– बस अड्डा, रेलवे स्टेशन और जाजमऊ घर में पुलिस तैनात हुई
कानपुर। तीन स्तरीय सुरक्षा घेरे वाली जिला जेल से एक कैदी भाग निकला है। हत्या के प्रयास में डेढ़ साल पहले जेल की सलाखों के पीछे पहुंचे कैदी ने जेल की सुरक्षा-व्यवस्था को धता बताते हुए कैसे फरार हुआ, यह जानने के लिए सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को देखा गया, लेकिन कोई क्लू नहीं मिला है। ऐसे में बस अड्डे, रेलवे स्टेशन और कैदी के निवास-स्थान के साथ-साथ जेल के अंदर घने पेड़ों की टहनियों और छतों पर रात में तलाशी अभियान जारी है, लेकिन खबर लिखे जाने तक लापता कैदी के बारे में कोई जानकारी जिला जेल प्रशासन को हासिल नहीं हुई है।
जाजमऊ से हत्या के मामले में जेल पहुंचा था
जेल से फरार कैदी की शिनाख्त जाजमऊ थानाक्षेत्र के ताड़बगिया मोहल्ले के अशीरुद्दीन पुत्र फजीरुद्दीन के रूप में हुई है। हत्या के मामले में शामिल अशीरुद्दीन का 14 जनवरी 2024 यानी डेढ़ साल पहले जेल दाखिला किया गया था। जेल अधीक्षक बी.डी.पाण्डेय के मुताबिक, रात साढ़े दस बजे की अंतिम गणना में एक कैदी कम मिला तो एक-एक बैरक में बंदीरक्षकों के जरिए शिनाख्त कराई गई। पड़ताल के दरमियान, फरार कैदी की पहचान अशीरुद्दीन पुत्र फजीरुद्दीन के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि, अभी तक नहीं है कि, गायब कैदी जेल के बाहर पहुंचा है अथवा जेल के अंदर छिपा है। अलबत्ता तीन घंटे की सघन छानबीन के बावजूद कैदी के बारे में कोई जानकारी नहीं हुई तो कोतवाली पुलिस को बुलाकर जेल के अंदर और बाहर नए सिरे से खोजबीन शुरू हुई है।
बस अड्डे, रेलवे स्टेशन और घर में टीम तैनात
कोतवाली प्रभारी जगदीश पाण्डेय ने बताया कि, बस अड्डे और रेलवे स्टेशन के साथ-साथ अशीरुद्दीन के जाजमऊ, ताडबगिया स्थित घर में पुलिस टीम को तैनात किया गया है। उम्मीद है कि, वह कानपुर से बाहर भागने की फिराक में होगा। जाजमऊ थाना-पुलिस को फिलहाल, कैदी की फरारी के बारे में कोई सूचना नहीं मुहैया हुई है। जाजमऊ इंस्पेक्टर जीतेंद्र सिंह ने बताया कि, उन्हें जिला जेल से इस संबंध में कोई जानकारी नहीं उपलब्ध कराई गई है। जेल के अंदर सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगालने में मुख्य द्वार से अशीरुद्दीन के बाहर जाने के फुटेज नहीं मिले हैं। ऐसे में आशंका है कि, वह दीवार फांदकर जेल के बाहर निकला है। एक आशंका यह भी है कि, वह जेल के अंदर घने पेड़ों के झुरमुट, जेल की छत अथवा भंडारण में राशन सामग्री के बीच दुबका होगा। इसी कयास में रात दो बजे जेल का चप्पा-चप्पा छाना गया, लेकिन अशीरुद्दीन का कोई सुराग नहीं लगा है।
हाई-सिक्योरिटी वाली जेल में तमाम कुख्यात
कानपुर की जिला जेज को हाई-सिक्योरिटी का दर्जा हासिल है। जेल में फिलवक्त, हाई-प्रोफाइल वकील अखिलेश दुबे के साथ-साथ शाहिद पिच्चा, यूसुफ चटनी, सनी मौरंग, जीशान मौरंग समेत तमाम कुख्यात बंद हैं। ऐसे में कैदियों की निगरानी के लिए जेल अधीक्षक के साथ-साथ दो जेलर, दर्जनों बंदी रक्षकों तथा भारी फोर्स मुस्तैद है। बावजूद अशीरुद्दीन की फरारी से जेल की सुरक्षा पर बड़ा सवालिया निशान लग गया है।