
9 अगस्त को देशभर में रक्षाबंधन का पवित्र पर्व मनाया जाएगा. रक्षाबंधन का यह त्योहार भाई-बहन के आपसी प्यार, स्नेह और सुरक्षा का प्रतीक है. हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार होता है, जो हर वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. यह पर्व भाई-बहन के रिश्तों की डोर को मजबूत करने वाला त्योहार है.
इस बार रक्षाबंधन का त्योहार बहुत ही शुभ योगों में मनाया जाएगा, क्योंकि इस बार रक्षाबंधन पर न तो भद्रा का साया रहेगा और न ही पंचक का. ऐसे में बहनें सुबह से लेकर शाम तक राखी बांधने के लिए काफी समय मिलेाग. आइए जानते हैं 09 अगस्त को रक्षाबंधन पर राखी बांधने का सबसे अच्छा मुहूर्त कब का है, विधि और मंत्र समेत सभी जानकारी.
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, 09 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. इस बार रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया नहीं रहेगा, जिसके चलते राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर दोपहर 01 बजकर 24 मिनट तक रहेगा.
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 22 मिनट से 05 बजकर 04 मिनट तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 40 मिनट से 03 बजकर 33 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 07 बजकर 06 मिनट से 07 बजकर 27 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त: रात 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक
- सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 05 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 23 मिनट तक
- अभिजीत मुहुर्त- दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से लेकर 12 बजकर 53 मिनट तक.
रक्षाबंधन पर बना दुर्लभ संयोग
इस बार रक्षाबंधन पर जहां भद्रा का साया नहीं रहेगा, वहीं इसके अलावा कई दूसरे तरह के शुभ योगों का भी निर्माण होगा. इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, श्रवण नक्षत्र, लक्ष्मी, गजलक्ष्मी और बुधादित्य योग का संयोग बनेगा.
रक्षाबंधन पर भद्राकाल का समय
इस वर्ष रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा क्योंकि सावन पूर्णिमा की तिथि पर भद्रा सूर्योदय से पहले ही खत्म हो जाएगी. पंचांग के अनुसार भद्रा 8 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर 09 अगस्त को सुबह 01 बजकर 52 मिनट तक रहेगी. हिंदू धर्म में भद्रा को अशुभ माना जाता है और किसी भी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित होता है.
रक्षाबंधन पर राहुकाल का समय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहुकाल को भी अशुभ समय माना जाता है. इस वर्ष रक्षाबंधन पर राहुकाल सुबह 09 बजकर 07 मिनट से लेकर 10 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. ऐसे में इस समय के दौरान बहनों को भाई की कलाई में राखी बांधने से बचना होगा.
राखी बांधते समय ये मंत्र बोले
बहनों को रक्षाबंधन के दिन शुभ मुहूर्त में राखी बांधते समय भाई के माथे पर तिलक लगाएं और आरती उतारें. फिर कलाई में राखी बांधते समय मन में भाई की कुशलत, सुरक्षा, समृद्धि और संपन्नता की कामना करें और यह मंत्र बोलें.
– “ॐ येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः. तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥”
– “रक्षासूत्रं शुभं दत्तं भुक्तिमुक्तिफलप्रदं. चीरयित्वा पवित्रेण बद्धं चास्तु सुते रणे॥”
– “चिरंजीवी भव. आयुष्मान् भव. विजयी भव. सर्वसंपदां प्राप्तिर्भवतु.”
रक्षाबंधन की थाली में मिठाई, राखी, अक्षत, रोली या कुमकुम, जल, नारियल और दीपक रखें
रक्षाबंधन का पौराणिक इतिहास
महाभारत में जब एक बार भगवान श्रीकृष्ण को चोट लग गई थी तब वहां पर द्रौपदी ने अपनी साड़ी के पल्लू को फाड़कर उनके हाथ से बहते हुए खून पर बांधा था, तब भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को जीवन में सुरक्षा का वचन दिया और चीरहरण के दौरान द्रौपदी की लाज बचाई थी. तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाए जाने की परंपरा है.
देवराज इंद्र और इंद्राणी की राखी की कथा
जब देवताओं के राजा देवराज इंद्र और असुरों के बीच भंयकर युद्ध चल रहा था, तब एक समय ऐसा भी आया कि इंद्रदेव की हार होने वाली थी, तभी पत्नी इंद्राणी ने उनकी कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर युद्ध में विजय की कामना की थी, जिसके बाद इंद्रदेव की असुरों पर विजय प्राप्ति हुई थी.