
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद राजधानी दिल्ली में सड़क के आवारा कुत्तों (स्ट्रीट डॉग्स) को लेकर सिविक एजेंसियों में हड़कंप मचा हुआ है। अब सवाल उठ रहा है कि आखिर दिल्ली में ऐसे आवारा कुत्तों की कुल संख्या कितनी है?चौंकाने वाली बात यह है कि इस पर किसी के पास सटीक जवाब नहीं है। कारण यह है कि पिछले 15 सालों से दिल्ली में डॉग सेंसस ही नहीं हुआ।
जानकारी अनुसार दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने पहली बार साल 2010 में डॉग सेंसस कराया था। तब राजधानी में आवारा कुत्तों की संख्या करीब 2 लाख बताई गई थी। इसके बाद कई बार एमसीडी ने सेंसस कराने की योजना बनाई, लेकिन वह कभी अमल में नहीं आ सकी। विशेषज्ञ मानते हैं कि बीते 15 सालों में कुत्तों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इसकी आधिकारिक जानकारी किसी के पास नहीं है।
इस संबंध में मीडिया को जानकारी देते हुए साउथ एमसीडी में वेटनरी डायरेक्टर रह चुके रविंद्र शर्मा बताते हैं कि एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) रूल्स लागू होने के करीब नौ साल बाद 2010 में पहली बार दिल्ली में डॉग सेंसस हुआ था। इसके बाद 2016 में साउथ एमसीडी ने अपने चार जोन (साउथ, वेस्ट, सेंट्रल और नजफगढ़) में अलग से सर्वे कराया। उस समय सिर्फ इन चार जोनों में ही 1,89,285 कुत्ते पाए गए थे। यह आंकड़ा 2010 में पूरे दिल्ली के लिए बताए गए 2 लाख कुत्तों के लगभग बराबर था। 2016 के सर्वे में यह भी सामने आया कि 29.18 प्रतिशत मादा और 41.89 प्रतिशत नर कुत्तों की नसबंदी हुई थी। हालांकि, एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स-2001 के तहत किसी भी शहर में 80 प्रतिशत कुत्तों की नसबंदी जरूरी मानी जाती है ताकि उनकी जनसंख्या पर नियंत्रण रखा जा सके। इस लिहाज से दिल्ली उस समय भी लक्ष्य से करीब 10 प्रतिशत पीछे थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर नियमित अंतराल पर डॉग सेंसस नहीं किया जाएगा, तो यह पता लगाना मुश्किल है कि मौजूदा समय में कुत्तों की संख्या कितनी है और नसबंदी अभियान कितना प्रभावी रहा है। वर्तमान स्थिति में सटीक आंकड़े के अभाव में न तो नीतियां बन पा रही हैं और न ही ग्राउंड पर लागू हो रही योजनाओं का मूल्यांकन संभव है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब उम्मीद है कि एमसीडी और अन्य सिविक एजेंसियां जल्द ही नया डॉग सेंसस कराएंगी, ताकि दिल्ली में आवारा कुत्तों की वास्तविक स्थिति साफ हो सके और उनकी आबादी को नियंत्रित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।