मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर सियासी घमासान, कुर्सी बचा पाएंगे या नहीं? जानिए क्या है विपक्ष की नाराजगी और चेतावनी

कांग्रेस और विपक्षी दल लगातार चुनाव आयोग पर निशाना साध रहे हैं. राहुल गांधी ने हाल ही में एक प्रेजेंटेशन के जरिए आयोग पर वोटरों की सूची में धांधली और भाजपा को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था. इसके बाद बवाल मच गया और चुनाव आयोग ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष रखा. आयोग ने विपक्ष को चेतावनी देते हुए कहा कि उसके कंधे पर बंदूक रखकर राजनीति न की जाए और सभी आरोपों के सबूत पेश किए जाएं.

इस पूरे मामले पर विपक्षी दलों की नाराजगी और बढ़ गई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इंडिया ब्लॉक की बैठक में प्रस्ताव रखा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग लाने पर विचार होना चाहिए. कई दलों ने इस प्रस्ताव का समर्थन भी किया है, लेकिन अभी तक अंतिम फैसला नहीं लिया गया है. विपक्ष का कहना है कि चुनाव आयोग की कार्यशैली लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और नई मुश्किलें

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि बिहार SIR के तहत हटाए गए 65 लाख नामों की पूरी सूची सार्वजनिक की जाए. इस आदेश ने कांग्रेस को और बल दिया. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अदालत के आदेश से साबित हो गया कि वोटरों की लिस्ट में गड़बड़ी की गई है और इसे छुपाने की कोशिश हो रही थी. हालांकि चुनाव आयोग ने ये लिस्ट जारी कर दी है.

चुनाव आयोग ने रखा अपना पक्ष

आलोचनाओं के बीच चुनाव आयोग ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष रखा. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि आयोग पर लगाए जा रहे सभी आरोप बेबुनियाद और राजनीतिक हैं. उन्होंने विपक्ष को चुनौती दी कि अगर वाकई गड़बड़ी हुई है तो एक हफ्ते में सबूत और हलफनामा पेश करें. उन्होंने साफ कहा कि केवल आरोप लगाने से सच्चाई नहीं बदलती.

विपक्ष की नाराजगी और चेतावनी

आयोग की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद विपक्ष और भड़क गया. इंडिया गठबंधन की बैठक में कई नेताओं ने इसे विपक्ष को धमकाने का प्रयास बताया. उनका कहना था कि चुनाव आयोग अब निष्पक्ष संस्था न रहकर भाजपा का प्रवक्ता बन चुका है. 

खरगे ने की महाभियोग की चर्चा

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बैठक में प्रस्ताव रखा कि मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग लाया जाए. इस प्रस्ताव का कई दलों ने समर्थन किया. हालांकि अभी तक इस पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि विपक्ष संसद सत्र में इस प्रस्ताव को लाने पर विचार कर रहा है.

विपक्षी दलों की एकजुटता की कोशिश

इंडिया गठबंधन की बैठक में तृणमूल कांग्रेस, राजद, सपा और डीएमके समेत कई दलों ने चुनाव आयोग की आलोचना की. सभी दलों का कहना था कि चुनाव आयोग की भूमिका लोकतंत्र के लिए सवाल खड़े कर रही है और इसे रोकने के लिए सामूहिक कदम उठाने होंगे.

क्या होगी आगे की रणनीति?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्ष चुनाव आयोग पर हमलावर रहकर 2026 के आम चुनाव से पहले माहौल बनाना चाहता है. महाभियोग का मुद्दा चाहे सफल हो या न हो, लेकिन विपक्ष इसे चुनावी नैरेटिव के तौर पर इस्तेमाल करेगा.

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