
लखनऊ : एससी-एसटी और रेप के फर्जी मुकदमे दर्ज करा लोगों को परेशान करने वाले वकील को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. साथ ही 5 लाख 10 हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया है. मंगलवार को न्यायालय के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने वकील परमानंद गुप्ता को दोषी पाते हुए यह आदेश दिया है.
जमीन हथियाने के लिए दर्ज कराया झूठा मुकदमा : वकील परमानंद गुप्ता ने पत्नी के ब्यूटी पार्लर में काम करने वाली महिला के अनुसूचित जाति के होने का फायदा उठाते हुए अपनी विवादित संपत्ति को हथियाने के लिए विपक्षी लोगों पर झूठा मुकदमा 18 जनवरी 2025 को विभूति खंड गोमती नगर में पंजीकृत कराया था. जिसकी विवेचना तत्कालीन एसीपी राधा रमन सिंह ने की थी. परमानंद गुप्ता ने अपने विपक्षी अरविंद यादव और अवधेश यादव पर छेड़खानी, रेप और अपशब्द बोलने का आरोप लगाया था, जिस पर एससी/एसटी, रेप की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत हुआ था. इसकी जांच चल रही थी.
महिला ने किया खुलासा : वादी पूजा रावत ने मुकदमे के ट्रायल के दौरान प्रार्थना पत्र देकर अवगत कराया कि वह गोरखपुर की मूल निवासी है, लखनऊ में रोजगार की तलाश में आई थी. लखनऊ में परमानंद गुप्ता की पत्नी के ब्यूटी पार्लर में सहायक का काम करती थी. उसने जो भी मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराए हैं, वह सब परमानंद के कहने पर कराए हैं, जबकि उसके साथ वास्तव में ऐसी कोई घटना घटित नहीं हुई. पूजा रावत के इस बयान से मुकदमे की दिशा ही बदल गई.
जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अधिवक्ता समुदाय के सम्मान को उनके ही बीच में छिपे अपराधिक प्रवृत्ति के कुछ सदस्य किस प्रकार नुकसान पहुंचा रहे हैं, यह प्रकरण इसका एक समसामयिक उदाहरण है.