
– कोर्ट के जरिए दर्ज कराते थे फर्जी मुकदमें, फिर होती थी उगाही
– श्यामनगर इलाके में मकान निर्माण पर वसूले थे एक लाख रुपए
– जमीन विवादित करने का भय दिखा पांच लाख अतिरिक्त डिमांड
कानपुर। दीनू उपाध्याय और अखिलेश दुबे के साथ-साथ दोनों के सिंडिकेट से जुड़े एक दर्जन से ज्यादा अधिवक्ताओं पर रंगदारी, वसूली और जमीन कब्जाने के मामले दर्ज होने के बाद एक वरिष्ठ अधिवक्ता को पुलिस ने सलाखों के पीछे भेजा है। बुजुर्ग अधिवक्ता कुछ वर्ष पहले तक शासकीय अधिवक्ता थे, लेकिन वकालत के पवित्र पेशे को ब्लैकमेलिंग के लिए इस्तेमाल करने के कारण कुख्यात थे। जेल भेजे गए अधिवक्ता का नाम अवध बिहारी यादव है, जोकि श्यामनगर के रामपुरम इलाके के बाशिंदे हैं। आरोप है कि, सहकारी आवास समिति का सचिव बनने के बाद अवध बिहारी आसपास की जमीनों पर मकान बनाने के एवज में खरीदारों से जबरन वसूली करते थे। इंकार की स्थिति में जरिए अदालत फर्जी मुकदमा दर्ज कराते थे, साथ ही जमीन को विवादित बनाकर निर्माण रुकवा देते थे।
ज्ञान सहकारी आवास समिति के कर्ता-धर्ता थे अवध
वर्ष 1977 की बात है, रामसिंह कोरी ने अपनी मां ज्ञानकली की यादगार में ज्ञान सहकारी आवास समिति बनाकर दस बीघा में प्लाटिंग करना शुरू किया था। उस वक्त जमीनों की खरीद-फरोख्त लीज-डीड के आधार पर होती थी। संपूर्ण भूखंड के प्लाट बिकने के बाद रामसिंह ने कई वर्ष बाद उम्र बढ़ने पर करीब 20 साल पहले आवास समिति को अवधबिहारी यादव के जिम्मे सौंप दिया। अब किसी भी प्लाट को लीज-डीड से फ्री-होल्ड कराने के एवज में अवधबिहारी मोटी रकम वसूलने लगे। साथ ही आसपास की जमीनों पर सोसाइटी का स्वामित्व बताकर प्रत्येक निर्माण पर आपत्ति करने लगे। हालात यह थे कि, किसी भी समिति से जमीन खरीदने के बावजूद, निर्माण कराने पर अवधबिहारी को चढ़ावा देना होता था।
लालसिंह तोमर की सोसाइटी से टकराए यादव
यूं तो ज्ञान सहकारी आवास समिति की ज्यादातर जमीन मौजा देहली सुजानपुर में बाईपास के कोयलानगर इलाके में आती थीं, लेकिन अवधबिहारी ने रामपुरम गेट के सामने सेना की जमीन से सटी भूमि (आराजी संख्या-916) में हिस्सा बताकर पूर्व एमएलसी लालसिंह तोमर की सोसाइटी –आनंदनगर हाउसिंग सोसाइटी से भूखंड खरीदने वालों से विवाद करना शुरू कर दिया। चूंकि कुछ वक्त पहले तक आर्डिनेंस डिपो से सटी जमीन पर निर्माण पर पाबंदी थी, लिहाजा आनंदनगर सोसाइटी ने इक्का-दुक्का प्लाट ही बेचे थे, लेकिन अवधबिहारी यादव के विरोध के कारण भूखंड मालिकों को चाहरदीवारी भी नहीं बना पाए थे। कुछ वक्त पहले सेना से तयशुदा ऊंचाई में भवन बनाने की सशर्त छूट मिली है।
एक लाख वसूले, पांच लाख अतिरिक्त डिमांड
ऑपरेशन महाकाल के ऐलान के साथ अवधबिहारी यादव के खिलाफ शिकायतों का अंबार था। गोपाल नगर निवासी देवेंद्र सिंह ने तमाम साक्ष्यों के साथ एसआईटी को बताया कि, उन्होंने आनंदनगर हाउसिंग सोसाइटी से प्लाट खरीदा है, लेकिन एक लाख रुपए वसूलने के बावजूद अवधबिहारी यादव तथा उसका बेटा विशाल यादव और सहयोगी संजय कुमार पांच लाख रुपए अतिरिक्त मांग रहे हैं। चर्चा है कि, अवधबिहारी एंड टीम ने देवेंद्र सिंह के प्लाट के बगल में भूखंड खरीदने वाले सौरभ शुक्ला से भी लाखों रुपए वसूले हैं। देवेंद्र के मुताबिक, अवधबिहारी ने खुद को पूर्व डीजीसी बताते हुए धमकाया था कि, डिमांड पूरी नहीं हुई तो भूखंड को विवादित बनाने के साथ फर्जी मुकदमों में फंसाकर जेल भिजवा देगा।
फर्जी मुकदमों का मास्टरमाइंड शासकीय अधिवक्ता
अवधबिहारी यादव के ऊपर फर्जीवाड़े, कूटरचित दस्तावेज बनाने, साजिश करने, वसूली, की धाराओं में पांच मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस पड़ताल में सामने आया है कि, प्लाट मालिकों से वसूली करने के लिए अवधबिहारी यादव शासकीय अधिवक्ता होने का भय दिखाकर धमकाता था। इसके साथ ही कूटरचित दस्तावेज बनाकर भूखंड को विवादित करता था। इसके बाद कोर्ट के जरिए फर्जी मुकदमा दर्ज कराता था। किसी कारणवश अदालत के जरिए एफआईआर दर्ज नहीं होती थी तो विभिन्न अदालतों में शिकायती वाद दाखिल करके परेशान करता था। कुल मिलाकर जमीन को विवादित करने के बाद उगाही करना और औने-पौने दाम में जमीन को खरीदने के बाद महंगे दाम में बेचना ही अवधबिहारी यादव का काला कारोबार था। चर्चा है कि, करीब 15 साल पहले यूपी बार बाउंसिल ने हरकतों के कारण अवधबिहारी को एक साल के लिए डिबार किया था।