जनता की अदालत में पहुंचा चुनाव आयोग…विदेशियों, घुसपैठियों का नाम हटना चाहिए या नहीं?

नई दिल्ली बिहार में मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा (एसआईआर) को लेकर मचे शोर-शराबे के बीच चुनाव आयोग ने जनता की अदालत का रुख कर देश के हर नागरिक से पांच सवाल पूछे हैं और विशेष पुनरीक्षण कार्य में उनका सहयोग मांगा है। आयोग की तरफ से जारी किए इन सवालों का मकसद मतदाता सूची को शुद्ध, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना है, ताकि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित किए जा सकें। आयोग ने लोगों से कहा है कि अगर वे आयोग के सवालों से सहमत हैं, तब इस विशेष पुनरीक्षण कार्य में सहयोग करें।

आयोग ने हरेक मतदाता से पूछे हैं

  1. क्या मतदाता सूची की गहन जाँच होनी चाहिए या नहीं?
  2. क्या दिवंगत लोगों के नाम हटाए जाने चाहिए या नहीं?
  3. अगर किसी का नाम मतदाता सूची में दो या अधिक स्थानों पर है, तब क्या उसे केवल एक ही स्थान पर रखा जाना चाहिए या नहीं?
  4. क्या उन लोगों के नाम हटाए जाने चाहिए जो दूसरी जगह चले गए हैं?
  5. क्या विदेशियों के नाम हटाए जाने चाहिए या नहीं?
    इतना ही नहीं आयोग ने कहा है कि अगर आपका उत्तर हाँ है, तब मतदाता सूची को ठीक करने के इस कठिन कार्य में आयोग की सफलता में योगदान दें। इस बीच, आयोग के अधिकारियों का कहना है कि सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने और चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए पिछले छह महीने में सभी दलों के साथ संवाद की नयी व्यवस्था के साथ 28 ठोस कदम उठाए गए हैं जिससे बिहार में सूची की सफाई का काम सहज ढंग से चल रहा है।

आयोग ने बीते छह महीने से राजनीतिक दलों के साथ उप-मंडल, जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक दलों के साथ व्यवस्थित बैठक का कार्यक्रम चलाया है। मार्च में सभी राज्यों में उप-मंडल पर मतदाता-पंजीयन अधिकारियों (ईआरओ) से लेकर राज्य स्तर पर मुख्य चुनाव अधिकारियों ने राजनीतिक दलों के साथ 4719 बैठकें आयोजित की । इनमें विभिन्न दलों के कुल 28,000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इनमें 40 बैठकें मुख्य चुनाव अधिकारियों ने, 800 जिला निर्वाचन अधिकारियों और 3879 मतदाता पंजीयन ने ली थी।


महज 10 दावे और आपत्तियां ही मिलीं
आयोग ने बताया कि 25 अगस्त की सुबह तक सभी राजनीतिक दलों से प्रारूप नामावली से जुड़े महज 10 दावे और आपत्तियां ही आयोग को प्राप्त हुई हैं। चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि सभी 10 दावे और आपत्ति क्षेत्रीय पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया (मार्क्सवादी- लेनिनवादी) के बीएलओ के माध्यम से प्राप्त हुई हैं। आयोग के सूत्रों ने कहा कि आपत्तियों के निष्पादन की प्रक्रिया जारी है। आयोग ने इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को भी दी है।

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