राजा आउनुपर्छ : नेपाल में ‘आंदोलन’…. पिक्चर से पर्दा उठाना अभी बाकी…

राजधानी काठमांडू में आंदोलन के दौरान गूंजा नारा.. राजा आउनुपर्छ

पड़ोसी देश में लोकतंत्र की लड़खड़ाती नींव, अंतरिम सरकार गठन में देरी

सेना ने संभाली नेपाल की बागडोर, सुशीला कार्की और बालेन्द्र शाह जिम्मेदारी निभाने से हटे पीछे

महराजगंज। राजधानी काठमांडू में आंदोलन के दौरान एक नारा जोर-शोर से गूंजा- राजा आउनुपर्छ। मतलब ‘राजा को आना चाहिए’। नेपाल में राजशाही की वापसी को लेकर मार्च में बड़ा आंदोलन भी हो चुका है। नेपाल के शाही परिवार में भी एक Gen Z युवराज हैं। हृदयेंद्र शाह। इस उथल-पुथल मेंे हृदयेंद्र शाह की तरफ सबकी निगाहें लग गई हैं। सूत्रों की मानें तो हृदयेंद्र अमेरिका से नेपाल के लिए रवाना हो चुके हैं। ऐसे में सात सितम्बर से शुरू हुए युवाओं के आंदोलन रूपी पिक्चर से पर्दा उठाना अभी बाकी हैं।

अगर देखा जाए तो आंदोलन के पहले एपिसोड में नेपाल अराजकता की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है।
काठमांडू से लेकर पूरे नेपाल में युवाओं का आक्रोश इस कदर फैला की उसकी लपटो में पूरा नेपाल जलकर खाक हो गया। तपिश का आलम यह है कि आज भी नेपाल में अंतरिम सरकार बनाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। युवा फिर भड़क ना जाएं सेना प्रमुख अपने कदम फूंक-फूंक कर आगे बढ़ा रहे हैं। नेपाल में भड़के युवा आंदोलन आज दो हिस्सों में बट चुके हैं। बीते दिनों सरकार ने 26 ऐप्स को बैन कर दिया, जिससे युवाओं को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला महसूस हुआ। लेकिन यह गुस्सा केवल तकनीकी मुद्दों तक सीमित नहीं था। बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, महंगाई और नेताओं की विलासितापूर्ण जीवन शैली ने लंबे समय से युवाओं के भीतर असंतोष को जन्म दिया था। अब Gen-Z आंदोलन के नेता खुद नेतृत्व संभालने से पीछे हट गए, जिससे सत्ता के खालीपन को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई। सेना ने हालात संभालने के लिए मोर्चा संभाला है, लेकिन यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी मानी जा रही है। नेपाल अब एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है। नेपाल में युवाओं के चहते काठमांडू शहर के मेयर बालेन्द्र शाह भी अंतरिम सरकार के गठन में प्रधानमंत्री बनने से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। हिमालय की गोद में बसा शांत और आध्यात्मिक राष्ट्र आज सत्ता की रईशी और राजनीतिक अवसरवादिता की चपेट में है। बीते पिछले 17 वर्षों में 14 बार सरकारें बदल चुकी हैं। इस अस्थिरता को केवल राजनीतिक विफलता नहीं, बल्कि सत्ता की मलाई में डूबे नेताओं की स्वार्थपरक महत्वाकांक्षा का परिणाम माना जा रहा है।नेपाल की राजनीति एक “रिवॉल्विंग चेयर” बन चुकी थी। पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’, केपी शर्मा ओली और शेर बहादुर देउबा जैसे नेता सत्ता के लिए बार-बार गठबंधन बनाते और तोड़ते रहे हैं। विचारधारा, सिद्धांत और जनहित की बातें सिर्फ भाषणों तक सीमित रहा।

लोकतंत्र की नींव हुईं कमजोर
2008 में राजशाही के खात्मे के बाद नेपाल ने लोकतंत्र की राह पकड़ी थी। लेकिन संविधान लागू होने के बाद भी स्थिरता नहीं आई। हर 14-15 महीने में प्रधानमंत्री बदलना इस बात का संकेत है कि लोकतंत्र केवल नाम का रह गया था। सत्ता के नशे में डूबे नेताओं ने जनता के विश्वास को बार-बार तोड़ा। यही कारण है कि युवाओं में भारी असंतोष की भावना देखने को मिली। जिसका नतीजा यह रहा कि वहां के नेताओं की पिटाई की खबरें भी सोशल मीडिया पर छाईं रही। बड़े बड़े आलिशान होटल और माल को युवाओं के गुस्से का शिकार होना पड़ा। जगह जगह आगजनी और तोड़फोड़ की खबरें मिल रही है।

नेपाल में युवा आंदोलन की नई करवट: नेतृत्व की तलाश में युवा, नजरें राज परिवार पर

नेपाल में चल रहा युवा आंदोलन अब एक निर्णायक मोड़ पर आ गया है। 7 सितम्बर से शुरू हुए इस जनांदोलन ने देश की राजनीतिक स्थिरता को चुनौती दे दी है। आंदोलन की पहली लहर में सुशीला कार्की और काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह जैसे नाम सामने आए, लेकिन अब ये दोनों नेता जिम्मेदारी निभाने से पीछे हटते नजर आ रहे हैं। इस बीच, आंदोलन दो धड़ों में बंट चुका है — एक वर्ग लोकतांत्रिक व्यवस्था में सुधार की मांग कर रहा है, तो दूसरा किसी सशक्त और निर्णायक नेतृत्व की तलाश में है।नेपाल तीन दिन की अराजकता से उबरने के दौर में है. भारत के इस पड़ोसी देश की कमान किसके हाथ में होगी, इसकी पुष्टि होना बाकी है. हालांकि एक तबके में नेपाल की कमान एक बार फिर से शाही परिवार के हाथ में सौंपने की मांग तेजी से उठ रही है. राजधानी काठमांडू में आंदोलन के दौरान एक नारा जोरशोर से गूंजा- राजा आउनुपर्छ. मतलब ‘राजा को आना चाहिए.’ नेपाल में राजशाही की वापसी को लेकर मार्च में बड़ा आंदोलन भी हो चुका है. नेपाल में जिस Gen Z ने इस बार तख्तापलट किया है, नेपाल के शाही परिवार में भी एक Gen Z युवराज हैं ।हृदयेंद्र शाह. नेपाल की Gen Z क्रांति के दौर में हृदयेंद्र शाह के तरफ अब सब की निगाहें लग गई है। सूत्रों की माने तो हृदयेंद्र शाह अमेरिका से नेपाल के लिए रवाना भी हो चुके

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