यूपी में जातीय राजनीति पर लगाम, रैलियां-नोटिस बोर्ड और पुलिस रिकॉर्ड से हटेगा जाति उल्लेख…जानिए, क्या है इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश

लखनऊ: समाज में जातीय भेदभाव मिटाने और सामाजिक समरसता बढ़ाने को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अहम कदम उठाया है. प्रदेश में जाति आधारित रैलियां बैन कर दी गई हैं. साथ ही वाहनों पर जाति बताने वाले स्लोगन नहीं लिख सकेंगे. ऐसे वाहनों का चालान किया जाएगा. इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों से जाति वाले स्टीकर हटाए जाएंगे. पुलिस रिकॉर्ड, नोटिस बोर्ड और गिरफ्तारी मेमो में भी आरोपी की जाति का जिक्र नहीं किया जाएगा. अब पिता के नाम के साथ-साथ आरोपी की मां का नाम भी दर्ज होगा. अगले साल प्रस्तावित स्थानीय निकाय, पंचायत और 2027 में होने होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह फैसला अहम माना जा रहा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान यह व्यवस्था दी थी कि एफआईआर व जब्ती मेमो में जाति नहीं दर्ज की जाएगी. कोर्ट के उसी फैसले के संदर्भ में कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार ने 21 सितंबर को संबंधित आदेश जारी किया है.

योगी सरकार के इस आदेश पर प्रदेश के कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया कि, पिछले कुछ समय से देश में जातिगत भेदभाव को लेकर कई सवाल उठ रहे थे. खासकर पुलिस रिकॉर्ड्स में जाति का उल्लेख सामाजिक समरसता को प्रभावित करता था. इस पृष्ठभूमि में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को ऐसे कदम उठाने के लिए कहा था, जिससे जाति आधारित भेदभाव को रोका जा सके. इसी के तहत यह आदेश जारी किया गया है.

योगी सरकार का आदेश.

सरकार का क्या है आदेश: नए आदेश के अनुसार, अब एफआईआर, गिरफ्तारी मेमो, चार्जशीट और अन्य पुलिस दस्तावेजों में जाति का उल्लेख पूरी तरह हटा दिया जाएगा. इसके बजाय माता-पिता के नाम दर्ज किए जाएंगे. साथ ही पुलिस थानों के नोटिस बोर्ड, वाहनों और साइनबोर्ड्स पर लिखे जातीय संकेत या नारे भी हटाए जाएंगे.सरकार ने जाति आधारित रैलियों पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है. सोशल मीडिया पर भी ऐसी सामग्री पर सख्त निगरानी रखी जाएगी, जो जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देती हो. सोशल मीडिया पर भी जाति संबंधी पोस्ट या इसे बढ़ावा देने पर कार्रवाई की जाएगी.

SC-ST एक्ट पर लागू नहीं नियम: बताया कि एससी/एसटी एक्ट जैसे मामलों में जहां कानूनी रूप से जाति का उल्लेख जरूरी है, वहां यह नियम लागू नहीं होगा. इस आदेश को लागू करने के लिए पुलिस नियमावली में संशोधन किया जाएगा और एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी तैयार की जाएगी. यह कदम सामाजिक एकता को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इससे न केवल पुलिस प्रणाली में पारदर्शिता आएगी, बल्कि समाज में समानता का संदेश भी जाएगा। सरकार ने सभी संबंधित विभागों को इस आदेश का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं.

योगी सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देश के आलोक में जारी किया ऑर्डर.

योगी सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देश के आलोक में जारी किया ऑर्डर. (Photo Credit; UP government)

जानिए, क्या है इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शराब तस्करी से जुड़े एक आपराधिक मामले को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि एफआईआर और जब्ती मेमो में अभियुक्त की जाति का उल्लेख करने की प्रथा को तत्काल समाप्त किया जाए. न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने विस्तृत निर्णय में इस प्रथा को कानूनी भ्रांति और पहचान की प्रोफाइलिंग बताया. कहा है कि यह संवैधानिक नैतिकता को कमजोर करती है और भारत में संवैधानिक लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चुनौती है.

कोर्ट के आदेश के महत्वपूर्ण बिंदू

  • अपराध विवरण फॉर्म, गिरफ्तारी/कोर्ट सरेंडर मेमो और पुलिस अंतिम रिपोर्ट सहित सभी पुलिस फॉर्मों से जाति या जनजाति से संबंधित सभी प्रविष्टियां हटा दी जाएं.
  • मां का नाम शामिल किया जाए: सभी संबंधित पुलिस फॉर्मों में पिता/पति के नाम के साथ मां का नाम भी जोड़ा जाए.
  • सभी पुलिस थानों में नोटिस बोर्ड पर अभियुक्तों के नाम के सामने जाति का कॉलम तत्काल प्रभाव से मिटा दिया जाए.
  • जाति का महिमामंडन करने वाले या क्षेत्रों को जातिगत क्षेत्र या संपत्ति घोषित करने वाले साइनबोर्ड तुरंत हटाए जाना चाहिए और भविष्य में उनकी पुनर्स्थापना को रोकने के लिए एक औपचारिक विनियमन बनाया जाना चाहिए.

केंद्र सरकार के लिए ये सिफारिशें कीं

  • केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन कर सभी वाहनों पर जाति-आधारित नारों और पहचानकर्ताओं पर स्पष्ट रूप से प्रतिबंध लगाया जाए.
  • सोशल मीडिया पर जाति का महिमामंडन करने वाली और घृणा फैलाने वाली सामग्री के खिलाफ कार्रवाई के लिए आईटी नियमों को मजबूत किया जाए.
  • नागरिकों के लिए उल्लंघनों की रिपोर्ट करने के लिए एक निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए.

कोर्ट ने किस मामले पर दिया आदेश: प्रवीण छेत्री ने अर्जी दाखिल कर मुकदमे जीवपूरी आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की मांग की गई थी. मामला इटावा के जसवंत नगर थाने का है. अभियोजन पक्ष के अनुसार 29 अप्रैल 2023 को पुलिस टीम ने स्कॉर्पियो गाड़ी को रोका और उसमें याची प्रवीण छेत्री सहित तीन व्यक्ति पकड़े. वाहन की तलाशी में 106 बोतल व्हिस्की बरामद हुई, जिस पर केवल हरियाणा में बिक्री के लिए लिखा था. साथ ही फर्जी नंबर प्लेट भी मिलीं. बरामदगी मेमो में अभियुक्तों की जाति माली, पहाड़ी राजपूत और ठाकुर के रूप में दर्ज की गई थी. उनसे मिली जानकारी के आधार पर एक और कार को रोका गया, जिसमें से 254 और बोतल शराब बरामद हुई. दूसरी गाड़ी के मालिक की पहचान पंजाबी पाराशर और ब्राह्मण जातियों के साथ की गई. अभियुक्तों ने हरियाणा से बिहार में शराब की तस्करी करने और प्रवीण क्षेत्री को अपना’गैंग लीडर बताने की बात कबूल की.

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