
मॉस्को । रूस ने अमेरिका का हर एक दांव फेल कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते थे की रूस को आर्थिक रुप से कमजोर कर दिया जाए तो रुस घुटने के बल आ जाएगा। लेकिन ये दांव उल्टा पड़ गया। रिपोर्ट के मुताबिक, रूस का समुद्री कच्चा तेल निर्यात 21 सितंबर तक के 28 दिनों में औसतन 36.2 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गया। यह मई 2024 के बाद का सबसे बड़ा आंकड़ा है। यानी पश्चिमी देशों की सख्ती और लगातार हमलों के बावजूद रूस ने तेल बेचने का नया रिकॉर्ड बना डाला।
जेपी मॉर्गन चेस एंड कंपनी के अनुमान के अनुसार, अगस्त और सितंबर में रूस सामान्य रूप से 54 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का प्रोसेस करता था। तेल निर्यात बढ़ने से रूस की कमाई भी तेजी से बढ़ रही है। सिर्फ 21 सितंबर तक के हफ्ते में रूस ने 2.369 करोड़ बैरल कच्चा तेल 31 टैंकरों में लादा। इससे निर्यात का कुल मूल्य बढ़कर 1.33 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले हफ्ते से करीब 5 करोड़ डॉलर ज्यादा है। यह सीधे-सीधे रूस के खजाने को मजबूत कर रहा है और युद्ध के दौरान पुतिन की अर्थव्यवस्था को सहारा दे रहा है।
यूक्रेन द्वारा रूस की रिफाइनरियों और अन्य रणनीतिक ठिकानों पर ड्रोन हमले में बड़े नुकसान के दावे किए गए हैं। लेकिन, असल में उतनी हानि हुई नहीं है। रूस ने पिछले हफ्ते बाल्टिक पोर्ट प्रिमोर्स्क से रिकॉर्ड 12 टैंकर कच्चा तेल लेकर निकले। यह दिखाता है कि पंपिंग स्टेशनों पर हमलों के बावजूद रूस की सप्लाई लाइन मजबूत बनी हुई है। बंदरगाहों पर मौजूद स्टोरेज टैंकों ने भी काम आसान कर दिया। पंप स्टेशनों की मरम्मत होने तक इन टैंकों से तेल की आपूर्ति बिना रुकावट जारी रही। रूस ने अपनी रणनीति में भी बदलाव किया। रिफाइनिंग कम होने के बाद भी रूस ने कच्चे तेल को घरेलू खपत में लगाने के बजाय सीधे निर्यात टर्मिनलों पर भेज दिया। इससे विदेशों में कच्चे तेल की आपूर्ति और बढ़ गई और रूस की जेब भी भर गई।