कौन हैं वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो जिन्होंने हर सुख त्याग पति की लड़ाई में दिया साथ

नई दिल्ली । लद्दाख के क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी गीतांजलि अंगमो सुर्खियों में आ गई हैं। उन्होंने अपने पति पर लगे पाकिस्तान कनेक्शन के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए खुलकर बचाव किया है और कहा है कि जब भारतीय पीएम पाकिस्तान जा सकते हैं, भारत और पाकिस्तान क्रिकेट साथ खेल सकते हैं, तो जलवायु सम्मेलन में कोई भारतीय क्यों नहीं जा सकता?

वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो, जो हर समय पति के अभियानों में उनके साथ दिखाई देती हैं, ने साफ किया कि वांगचुक की पाकिस्तान यात्रा संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के निमंत्रण पर हुई थी और पूरी तरह से क्लाइमेट चेंज पर केंद्रित थी। उनका कहना है, कि ग्लेशियर यह नहीं देखता कि वह भारत में है या पाकिस्तान में, बल्कि उसका असर पूरी धरती का पड़ता है।

कौन हैं गीतांजलि अंगमो?
दरअसल ओडिशा के बालासोर में एक पंजाबी परिवार में जन्मीं गीतांजलि अंगमो न सिर्फ़ एक शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, बल्कि सफल उद्यमी भी हैं। उन्होंने फकीर मोहन यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में स्नातक और जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, भुवनेश्वर से एमबीए किया है। वह हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख की संस्थापक सदस्य हैं और महाराष्ट्र सरकार के एमआईईबी बोर्ड की सलाहकार रह चुकी हैं। उन्होंने हेलिओस बुक्स, ओम हॉस्पिटल्स, ओम ट्रस्ट और लव योर लिवर फाउंडेशन जैसे सामाजिक और स्वास्थ्य से जुड़े संगठनों की भी स्थापना की।

बहुआयामी व्यक्तित्व की मालिक
गीतांजलि अंगमो का व्यक्तित्व बहुआयामी है। वे कराटे में ब्लैक बेल्ट हैं और 2009 में अमेरिका में अपने बेटे आर्यन के साथ विश्व चैंपियनशिप जीत चुकी हैं। उन्हें ओडिसी और रशियन बैले नृत्य, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और पियानो में गहरी रुचि है। इसके साथ ही उनका जुड़ाव अध्यात्म से गहरा है। वे श्री अरविंद दर्शन, वेद-उपनिषद की विद्यार्थी रही हैं और योग-प्राणायाम-ध्यान का अभ्यास करती हैं।

सरकार कर चुकी है सम्मानित
समाज और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें 2022 में भारत सरकार की ओर से नीति आयोग द्वारा वुमेन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया। ऐसी बहुआयामि प्रतिभा की धनी गीतांजलि अंगमों ने सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद कहा, कि वह इस मामले को कोर्ट में चुनौती देंगी। उन्होंने साफ कहा कि यह लड़ाई सिर्फ़ एक व्यक्ति की नहीं बल्कि पूरे लद्दाख और हिमालयी पर्यावरण की है।

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