
Sahara India Scam : रियल एस्टेट की दुनिया से बड़ी खबर आ रही है। इस खबर से सहारा कंपनी में पैसा फंसाने वाले लोगों को राहत मिलेगी। बता दें कि सहारा ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी 88 कीमती संपत्तियों को अडानी ग्रुप को बेचने की अनुमति मांगी है। इन संपत्तियों में पुणे की मशहूर आंबी वैली और लखनऊ का ‘सहारा शहर’ जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक, इस डील की कीमत 1 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो सकती है। बताया जा रहा है कि सहारा की 170 एकड़ में फैली विरासत को अडानी ग्रुप खरीदने जा रहा है। यदि यह डील पूरी होती है, तो यह भारत के रियल एस्टेट इतिहास की सबसे बड़ी डील्स में से एक होगी। इसके साथ ही, अडानी समूह फंसे हुए निवेशकों का पैसा भी वापस करेगा।
क्या है पूरा मामला
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सहारा ग्रुप की याचिका पर सुनवाई हुई। सहारा ने अपनी 88 संपत्तियों को अडानी प्रॉपर्टीज लिमिटेड को बेचने की अनुमति मांगी है। इन संपत्तियों की अनुमानित कीमत 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, वित्त मंत्रालय, सहकारिता मंत्रालय और मार्केट रेगुलेटर सेबी को नोटिस जारी कर तीन हफ्तों में जवाब मांगा है। कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफड़े को न्यायमित्र नियुक्त किया है, जिन्हें इन संपत्तियों की लिस्ट बनाने और विवाद-मुक्त संपत्तियों की जांच का जिम्मा सौंपा गया है।
क्या है टर्म शीट?
सहारा ग्रुप की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अडानी ग्रुप की ओर से मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दोनों पक्षों ने एक टर्म शीट पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंप दिया गया है। इस टर्म शीट में डील की शर्तें और विवरण हैं, हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अडानी ने इन संपत्तियों के लिए कितनी रकम की पेशकश की है। कपिल सिब्बल ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि इस डील से मिलने वाली राशि सहारा ग्रुप के बकाये से ज्यादा होगी, जिससे निवेशकों को उनका पैसा लौटाने में मदद मिलेगी।
सहारा ग्रुप की दो कंपनियों सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन और सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन पर 2008-2011 के बीच अवैध फंड जुटाने का आरोप है। इन कंपनियों ने ऑप्शनल फुली कन्वर्टिबल डिबेंचर्स (OFCD) के जरिए करीब 3 करोड़ निवेशकों से लगभग 25,000 करोड़ रुपये इकट्ठा किए थे। सेबी ने इसे गैरकानूनी माना और 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि सहारा निवेशकों का पैसा सेबी-सहारा खाते में जमा करे। कोर्ट ने 25,000 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया, जिसमें से अभी तक 15,000 करोड़ रुपये से अधिक जमा हो चुके हैं, लेकिन 9,481 करोड़ रुपये बकाया हैं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि सरकार ने सेबी-सहारा खाते से निवेशकों को पैसा लौटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक केवल 138 करोड़ रुपये ही वापस किए गए हैं। सहारा का दावा है कि उसने पहले ही 19,000 करोड़ रुपये निवेशकों को लौटा दिए हैं, पर सेबी इसे मानने को तैयार नहीं है।
सहारा की ये 88 संपत्तियां पूरे भारत में फैली हैं, जिनमें पुणे की आंबी वैली, लखनऊ का सहारा शहर और कई अन्य बड़े रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। कपिल सिब्बल ने बताया कि कुछ संपत्तियों की जानकारी पूरी तरह से ग्रुप को नहीं थी, क्योंकि इन्हें कर्मचारियों ने मैनेज किया था। इसलिए, डील में यह प्रावधान है कि जैसे ही अन्य संपत्तियों का पता चलेगा, उन्हें भी शामिल किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर 2025 को तय की है। तब तक केंद्र सरकार, सेबी और न्यायमित्र अपनी रिपोर्ट और जवाब दाखिल करेंगे। कोर्ट यह भी तय करेगा कि इन संपत्तियों को एक साथ बेचा जाए या टुकड़ों में। यदि यह डील पूरी होती है, तो यह सहारा के बकाये की वसूली और अडानी ग्रुप के रियल एस्टेट पोर्टफोलियो को मजबूत करने में मदद करेगी।
बता दें कि ये डील अगर सफल होती है तो ये सहारा के निवेशकों के लिए खुशखबरी साबित होगी… बल्कि भारत के रियल एस्टेट इतिहास की सबसे बड़ी डील भी बन सकती है। सवाल ये है कि क्या यह डील सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी पा सकेगी और क्या सहारा का यह कदम निवेशकों का भरोसा दोबारा जीत पाएगा?