
झांसी में घायल को चारपाई पर लादकर पहुंचाया अस्पताल: एम्बुलेंस सेवा ने नहीं दिया साथ, परिजनों और चिकित्सकों में विवाद, अंधेरी सड़कों पर भटके
झांसी। जनपद में मोंठ तहसील क्षेत्र के बम्हरौली गांव की नई बस्ती में गुरुवार की रात एक दर्दनाक और शर्मनाक घटना सामने आई। यहां करीब 35 वर्षीय कोमल पुत्र स्व. पुत्तूलाल फिसलकर गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल को लेकर परिवार और ग्रामीणों ने सरकारी एम्बुलेंस सेवा 108 को कई बार फोन किया, लेकिन उन्हें कोई सहायता नहीं मिली। अंततः ग्रामीणों को मजबूर होकर कोमल को चारपाई समेत लोडर वाहन से सीएचसी मोंठ के ट्रामा सेंटर तक पहुंचाना पड़ा।
जब घायल को चारपाई पर लादकर अस्पताल के अंदर ले जाया गया, तो वहां मौजूद लोगों के बीच स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था को लेकर नाराजगी और आक्रोश फूट पड़ा। लोग चर्चा करने लगे कि अगर सरकार की आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा जरूरतमंद को समय पर न मिले, तो उसका अस्तित्व ही क्या मायने रखता है।

–एम्बुलेंस सेवा फेल, ग्रामीणों ने खुद उठाया जिम्मा
घायल के मोहल्लेवासी भारत ने बताया कि उन्होंने 108 एम्बुलेंस पर बार-बार कॉल किया, लेकिन किसी कारणवश वाहन नहीं भेजा गया। “हमारे पास कोई विकल्प नहीं था, इसलिए पड़ोसियों की मदद से कोमल को चारपाई समेत लोडर गाड़ी में रखकर अस्पताल लाए,” भारत ने बताया।
उन्होंने कहा कि “सरकारी सुविधाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। जब जरूरत पड़ती है तो आम आदमी को खुद संघर्ष करना पड़ता है।”

–अस्पताल में हंगामा, चिकित्सकों से विवाद

जैसे ही घायल कोमल को सीएचसी मोंठ के ट्रामा सेंटर लाया गया, चिकित्सकों ने उसे प्राथमिक उपचार दिया। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने इलाज में लापरवाही बरती और एक्स-रे करने से भी इनकार कर दिया।
मामला इतना बढ़ गया कि देखते ही देखते दर्जनों परिजन और ग्रामीण अस्पताल परिसर में एकत्रित हो गए और चिकित्सकों पर चिल्लाना शुरू कर दिया।
स्थिति बिगड़ने पर अस्पताल कर्मियों ने तत्काल मोंठ पुलिस को सूचना दी। मोंठ कोतवाल अखिलेश द्विवेदी मौके पर पहुंचे और किसी तरह लोगों को शांत कराया।
–घायल की मां का दर्द: “गरीबी में इलाज कराना भी गुनाह है”
घायल की मां रानी ने बताया कि उनके बेटे की हालत गंभीर है, लेकिन चिकित्सक ध्यान नहीं दे रहे। उन्होंने कहा — “हम गरीब लोग हैं। झांसी जाकर इलाज कराने में असमर्थ हैं। यहां एक्स-रे तक नहीं कर रहे हैं। डॉक्टरों की लापरवाही से मेरे बेटे की हालत और बिगड़ सकती है।”

–अस्पताल छोड़कर निजी पैथोलॉजी पहुंचे परिजन
पुलिस के हस्तक्षेप के बाद भी परिजन सरकारी अस्पताल की सुविधाओं से नाराज होकर घायल कोमल को चारपाई समेत उठाकर बाहर ले गए।
वे लोग करीब 100 मीटर की दूरी पर स्थित एक निजी पैथोलॉजी सेंटर पर पहुंचे, जहां एक्स-रे करवाया गया।
यह दृश्य देखकर राहगीर और आसपास के लोग हैरान रह गए, एक ओर सरकार “बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं” के दावे करती है, वहीं दूसरी ओर मरीजों को आज भी चारपाई पर लादकर अस्पताल दर-दर भटकना पड़ रहा है।
–अस्पताल प्रशासन ने दी लिखित शिकायत
उधर, सीएचसी मोंठ के चिकित्साकर्मियों ने इस घटना की लिखित शिकायत मोंठ थाना पुलिस को दी है। शिकायत में लिखा गया है कि घायल के इलाज के दौरान लगभग 30 महिला-पुरुषों ने ड्यूटी पर तैनात स्टाफ से अभद्रता, गाली-गलौज और धमकी दी। अस्पताल प्रशासन ने आरोप लगाया कि इस माहौल में उपचार कार्य प्रभावित हुआ और कर्मचारियों को सुरक्षा का अभाव महसूस हुआ। पुलिस से मामले की जांच और उचित कार्रवाई की मांग की गई है। यह भी स्पष्ट किया कि उनके पास एक्स-रे तथा दूसरी जांचों के लिए यन्त्र नहीं हैं।
–जनता में आक्रोश, सरकार से सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर 108 एम्बुलेंस सेवा समय पर पहुंच जाती, तो घायल को चारपाई पर लादने की नौबत नहीं आती।
स्थानीय लोग प्रशासन से सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर ऐसी स्थितियों में जनता जाए तो कहां जाए?