मोंथा बनाम मेलिसा : नाम अलग, असर घातक…जानिए कैसे अलग हैं दोनों तूफान

नई दिल्ली । वर्ष 2025 के अंत तक धरती पर दो बड़े समुद्री तूफान एक साथ सक्रिय हैं, ये साइक्लोन मोंथा और हरिकेन मेलिसा हैं। दोनों ही तूफान इस समय अलग-अलग हिस्सों में तबाही मचा रहे हैं। मोंथा बंगाल की खाड़ी में भारत के दक्षिण-पूर्वी तट की ओर है, जबकि मेलिसा अटलांटिक महासागर से होते हुए कैरिबियाई देशों, हैती, डोमिनिकन रिपब्लिक और जमैका में भारी तबाही ला रहा है।

यहां सर्वप्रथम साइक्लोन मोंथा की बात करें तो इसकी उत्पत्ति बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्वी हिस्से से हुई। अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में बने कम दबाव के क्षेत्र ने गर्म समुद्री पानी (लगभग 30°सी) से ताकत लेकर यह रूप धारण किया। भारतीय मौसम विभाग ने इसके आंध्र प्रदेश के काकीनाडा के पास तट से टकराने का पूर्वानुमान जारी किया। इसके टकराने से पहले ही हवाएं 90-100 किमी/घंटा तक चलीं, जिससे 10-15 फीट ऊंची समुद्री लहरें उठने की आशंका जाहिर की गई।

मोंथा का अर्थ और प्रभाव
थाईलैंड द्वारा सुझाए गए ‘मोंथा’ नाम का अर्थ होता है “सुगंधित या सुंदर फूल।” मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह तूफान बड़ा नुकसान पहुंचाता है, तो इसका नाम ‘रिटायर’ कर दिया जाएगा। सरकार ने आंध्र प्रदेश और ओडिशा में एनडीआरएफ की टीमों को तैनात किया गया, जबकि तटीय इलाकों से हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया।

हरिकेन मेलिसा: अटलांटिक महासागर की तबाही
दूसरी ओर, हरिकेन मेलिसा 2025 के अटलांटिक तूफान सीजन का सबसे शक्तिशाली हरिकेन बन गया है। पश्चिम अफ्रीका तट से निकली एक ‘ट्रॉपिकल वेव’ से बना यह तूफान अब कैटेगरी-5 स्तर पर पहुंच चुका है। इसकी रफ्तार 282 किमी/घंटा तक दर्ज की गई है। अमेरिकी नेशनल हरिकेन सेंटर (एनएचसी) के अनुसार, यह 29 अक्टूबर को जमैका से टकराएगा। यहां बताते चलें कि मेलिसा के कारण अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है, 3 जमैका में, 3 हैती में और 1 डोमिनिकन रिपब्लिक में। हवाओं की रफ्तार और भारी बारिश से बाढ़, भूस्खलन और समुद्री लहरों का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह तूफान इसी ताकत से टकराता है, तो यह 1851 के बाद से जमैका को प्रभावित करने वाला यह सबसे शक्तिशाली हरिकेन होगा।

नाम और फर्क
इस प्रकार साइक्लोन और हरिकेन दोनों ही गर्म समुद्री जल से बनने वाले चक्रवाती तूफान हैं। फर्क सिर्फ क्षेत्र और नामकरण प्रणाली का है। भारत और बंगाल की खाड़ी में इन्हें साइक्लोन कहा जाता है। अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत में इन्हें हरिकेन कहते हैं। नाम विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) की सूची से लिए जाते हैं। एशिया में देशों द्वारा सुझाए गए नाम, जबकि अटलांटिक में छह साल के चक्र से दोहराए जाने वाले नाम। कुल मिलाकर दोनों ही तूफान जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों की चेतावनी हैं, जो यह बताते हैं कि महासागरों की गर्मी अब पहले से कहीं ज्यादा घातक रूप ले चुकी है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

थाईलैंड – कंबोडिया सीमा विवाद फिर भड़का तारा – वीर ने सोशल मीडिया पर लुटाया प्यार हिमाचल में तबाही, लापता मजदूरों की तलाश जारी न हम डरे हैं और न यहां से जाएंगे एयर इंडिया विमान हादसे पर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक