होली के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने की सुगबुगाहट…पंचायत चुनाव के लिए नामांकन शुल्क, जमानत राशि और खर्च सीमा तय..


पंचायत चुनाव के लिए नामांकन शुल्क, जमानत राशि और खर्च सीमा तय..
1.25 लाख में जीत पाएंगे प्रधानी का चुनाव ?

 
– एसआईआर की प्रक्रिया से नहीं टलेंगे यूपी में पंचायत चुनाव
– होली के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने की सुगबुगाहट
– मतदाता सूची का अंतिम मसौदा दिसंबर में प्रकाशित होगा

कानपुर। यूपी में मतदाता सूची के सघन निरीक्षण (एसआईआर) के कारण पंचायत चुनाव नहीं टाले जाएंगे। उम्मीद है कि, मार्च में होली के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए जाएंगे। कयास थे कि, फरवरी के पहले हफ्ते में पंचायत चुनाव होंगे, लेकिन मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन में तनिक विलंब के कारण मतदान प्रक्रिया एक महीना आगे सरकने की आशंका है। अलबत्ता राज्य निर्वाचन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए नामांकन शुल्क, जमानत राशि और अधिकतम खर्च सीमा को तय करते हुए सार्वजनिक कर दिया है। उम्मीदवारों को उम्मीद है कि, जल्द ही चुनाव तारीखों को ऐलान किया जाएगा।

जिपं अध्यक्ष के लिए खर्च सीमा सात लाख रुपए

जिला निर्वाचन अधिकारी/जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह के मुताबिक, नामांकन पत्र केवल निर्धारित मूल्य पर ही उपलब्ध होंगे, जबकि जमानत राशि संबंधित रिटर्निंग अधिकारी के पास जमा करनी होगी। उन्होंने बताया कि, प्रत्याशियों को नामांकन के समय खर्च सीमा की जानकारी अनिवार्य रूप से प्रशासन के जरिए उपलब्ध कराई जाएगी। तय व्यवस्था के मुताबिक, ग्राम पंचायत सदस्य के लिए नामांकन पत्र 200 रुपये, जमानत राशि 800 रुपये और व्यय सीमा 10,000 रुपये तय है।

अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग तथा महिला प्रत्याशियों के लिए यह धनराशि क्रमशः 100, 400 और 10,000 रुपये होगी। इसी प्रकार ग्राम प्रधान पद के लिए सामान्य वर्ग के प्रत्याशी को 3,000 रुपये जमानत राशि और 1,25,000 रुपये तक खर्च की सीमा मिलेगी, जबकि आरक्षित वर्ग के लिए जमानत राशि 1,500 रुपये तय है। क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए खर्च सीमा 1,00,000 रुपये और जिला पंचायत सदस्य के लिए 2,50,000 रुपये रखी गई है। प्रमुख क्षेत्र पंचायत के लिए यह सीमा 3,50,000 रुपये तथा अध्यक्ष जिला पंचायत के लिए 7,00,000 रुपये तय है। जिलाधिकारी ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा तय दरें नामांकन प्रक्रिया को पारदर्शी और एकरूप बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

प्रधानी के चुनाव में खर्च होते हैं पांच लाख
चुनाव आयोग ने खर्च की लक्ष्मणरेखा को तय किया है। दिखावे के तौर पर खर्च रजिस्टर का लेखा-जोखा इस लक्ष्मण-रेखा को नहीं लाघेंगा, लेकिन हकीकत जुदा है। मनरेगा समेत तमाम योजनाओं के कारण प्रधानी जीतने के बाद उम्मीदवार लाखों-करोड़ों में खेलने लगता है। इसी नाते प्रधानी का चुनाव जीतने के लिए खर्च करने से नेता-कार्यकर्ता कतराते नहीं हैं। मौजूदा समय में कानपुर में महाराजपुर क्षेत्र के प्रधान ने बताया कि, बीते चुनाव में उन्होंने पांच लाख रुपए खर्च किये थे। नाम छिपाने की शर्त पर ग्राम प्रधान ने बताया कि, माफियाओ ने चुनाव महंगा कर दिया है। साड़ी, शराब और नोट बांटने के कारण प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। इसी प्रकार क्षेत्र पंचायत का चुनाव लड़ चुके एक प्रत्याशी ने बताया कि, कार्यकर्ताओं को वाहन देना मजबूरी होता है।

मतदाता सूची का युद्धस्तर पर
जनवरी 2025 के आधार पर मतदाता सूची को दुरुस्त करने के लिए सर्वे का काम निबट चुका है। अब सभी एसडीएम डाटा चेकिंग के बाद ऑनलाइन फीड कराने में जुटे हैं। दावा है कि, मतदाता सूची का मसौदा (अअंतिम सूची) दिसंबर में प्रकाशित होगा, जबकि फाइनल सूची 15 जनवरी 2026 को प्रकाशित करने का प्रयास है।

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