गाइड लाइन बताते-बताते सरहद लांघ गए वारसी-भोले…वारसी ने अमर्यादित शब्दों के इस्तेमाल से नहीं किया परहेज

  • वारसी ने अमर्यादित शब्दों के इस्तेमाल से परहेज नहीं किया
  • सांसद भोले ने वारसी के मानसिक इलाज की जरूरत जताई

कानपुर। दिशा की बैठक में वारसी और भोले के बीच बवाल की वजह वर्चस्व की जंग है। शुरुआती बहस के बाद करीब 15 मिनट तक वारसी शांत बैठे रहे। फिर दिशा की गाइडलाइन की बात उठाई। इसी दरमिया, सांसद भोले ने गाइड लाइन के बावत बताना शुरु किया तो वारसी भडक़ गए। उन्होंने कहा कि मै भी सांसद रहा हूं। सांसद ने कहा कि गाइड लाइन बदलती रहती हैं। इस पर वारसी बोले मैं तुम्हें सांसद ही नहीं मानता हूं। इसके बाद वारसी ने सदन के सदस्य पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश तिवारी व अन्य लोगों पर कई व्यक्तिगत टिप्पणी कीं। बीच-बचाव के बाद मामला शांत किया गया। दोबारा बैठक की शुरुआत हुई तो रनियां की आरती डिस्टलरी के गंदा पानी बहाने और नाली चकरोड की जमीन बाउंड्रीवाल के अंदर होने पर चर्चा शुरू हुई। इस विषय पर वारसी आपे से बाहर हो गए। उन्होंने बेहिसाब अमर्यादित शब्दों की बौछार करना शुरू किया तो दूसरे लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया। बाद में वारसी सदन छोडक़र चले गए। हंगामा और बवाल के चलते बैठक स्थगित कर दी गई।

भोले बोले- वारसी को मानसिक इलाज की जरूरत
सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वारसी मेरे भाई हैं, लेकिन उन्हें मानसिक इलाज की जरूरत है। सरकार में रहते हुए धरना देते हैं तो कभी थाने में धरने पर बैठ जाते हैं तो कभी फैक्टरी के बाहर। वो कहते हैं कि हम भोले को सांसद नहीं मानते हैं। भारत सरकार की कमेटी पर भी ऐतराज है। वारसी जातिगत टिप्पणी करते हैं। चुनाव आते ही वो परशुराम महासभा चलाते हैं। शासन के खिलाफ धरना दे रहे हैं। मंत्री कहती हैं कि उनके पास कोई फाइल नहीं आती है। वारसी की कपंनी पर प्रदूषण फैलाने को लेकर एनजीटी ने 96 करोड़ का जुर्माना लगाया था। इसमें मेरा क्या दोष है। भोले ने कहा कि वो माहौल में जहर घोलने का काम कर रहे हैं। बैठक में वो केवल बेईमान अधिकारियों और व्यापारियों का पक्ष लेने आए थे। आरती डिस्लरी का जिक्र आया तो वो भडक़ गए। किसी फैक्टरी वाले को किसान की नाली और चकरोड़ को फैक्टरी के अंदर का अधिकार नहीं है। अब केंद्र और राज्य सरकार से अधिकारी नामिति कराने के बाद बैठक कराई जाएगी।

सदन में टॉरगेट करते, फिर होती वसूली : वारसी
बैठक में विवाद और हंगामा के बाद सदन छोडक़र निकले वारसी ने जाते-जाते कई गंभीर आरोप लगा गए। उन्होंने कहा कि सांसद देवेंद्र सिंह भोले जबरदस्ती दिशा का मेंबर बनाकर चार-पांच गुंडों को बैठा लेते हैं। इसके बाद बैठक में फैक्टरी वालों को टॉरगेट करते हैं। अफसरों को बेइज्जत करते हैं। गुंडे बाद में जाकर वसूली करते हैं। हालाकि वारसी ने सदन में कौन गुंडे हैं उनका नाम तो नहीं लिया। उनका इशारा किसकी तरफ था ये वहां मौजूद सभी लोग समझ गए।

सर सर सर…करते रहे डीएम और एसपी
सदन में एक दूसरे पर गंभीर आरोपों की झड़ी लगाने के बाद भोले और वारसी खड़े होकर हाथपाई के लिए तैयार हो गए। ये देखकर डीएम कपिल सिंह, एसपी श्रद्धा नरेंद्र पांडेय सर सर सर करके मामले को शांत करने की कोशिश करते रहे। एसपी ने हाथ लगाते हएु सांसद से बैठ जाने का भी अनुरोध किया। चूंकि मामला कद्दावर नेताओं के बीच का था। इससे पुलिस और अफसर भी कोई निर्णय लेने की स्थिति में नहीं थे। सब मूकदर्शक बने देखते रहे। इन हालातों में भाजपा के अंदर की गुटबाजी भी एक बार फिर खुलकर सामने आ गई।

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