Film Review : “हाय जिंदगी” : अलग कहानी, जानदार निर्देशन और अद्भुत अदाकारी

फिल्म समीक्षा: “हाय जिंदगी”

निर्माता : सुनील कुमार अग्रवाल, अजय राम
निर्देशक: अजय राम
बैनर: सी. आर. फिल्म्स प्रोडक्शंस और सुनील अग्रवाल फिल्म्स
रिलीज डेट; 14 नवंबर 2025
कलाकार; गौरव सिंह, गरिमा सिंह, आयुशी तिवारी, सोमी श्री, दीपांशी त्यागी और ऋषभ शर्मा
अवधि: 2 घंटे 4 मिनट
सेंसर : ए सर्टिफिकेट
रेटिंग: 3.5 स्टार्स

बॉलीवुड में इन दिनों अलग कॉन्सेप्ट और अनूठी कहानियो को प्रस्तुत किया जा रहा है. इस सप्ताह रिलीज हुई फिल्म ‘हाय जिंदगी’ भी एक अनोखे प्लॉट पर बेस्ड है जो आज के समाज की जरूरत भी है.
काफी समय से चर्चाओं में रही इस फिल्म मे जो मुद्दा उठाया गया है अर्थात बलात्कार के प्रावधान को ‘जेंडर न्यूट्रल’ बनाया जाए उसके लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है. पूरे भारत के सिनेमाघरों में रिलीज़ फिल्म “हाय ज़िंदगी” ने कानून में पुरुषों की सुरक्षा के लिए इसी तरह की आवाज़ उठाई है। हालांकि ये कोर्ट रूम ड्रामा नहीं है बल्कि बड़े मनोरंजक ढंग से कहानी का ताना बाना बुना गया है.

अनोखी कहानी
फिल्म की कहानी एक हैंडसम युवा वरुण (गौरव सिंह) के इर्दगिर्द घूमती है जो बेहद दौलतमंद व्यवसायी गुप्ताजी (संजय गोयल) की ऑफ़िस में काम करता है. गुप्ताजी की इकलौती बेटी पलक (गरिमा सिंह) अपनी सहेलियों मेघा (आयुषी तिवारी), ज्योति (सोमी श्री) और नंदिनी (दीपांशी त्यागी) के साथ एक पार्टी प्लान करती है. जहां वे वरुण को भी बुलाती हैं. वरुण को ज्यादा शराब पिलाकर और ड्रग्स देकर उसका शारीरिक शोषण करती हैं. वह कहता रहता है “छोड़ दो मुझे जाने दो।” मगर लड़कियां कहती हैं “ऐसे कैसे जाने दें”. चारों लड़कियों द्वारा ज़बरदस्ती करने से वरुण बेहोश हो जाता है. जब उसे होश आता है तो वह पुलिस स्टेशन मे जाकर शिकायत करता है “चार लड़कियों ने मेरा शारीरिक शोषण किया है, मेरी इजजत लूटी है.” पुलिस वाले वरुण पे हँसते हैं और कहते हैं “ओ तेरी ये कब से होने लगा.” अब इसके बाद वरुण क्या करता है उसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी.

फिल्म का मुद्दा

फिल्म “हाय ज़िंदगी” का मुद्दा बहुत ही जरूरी और महत्वपूर्ण है. फिल्म ये सवाल उठाती है कि एक पुरुष भी महिलाओं द्वारा यौन उत्पीड़न का शिकार हो सकता है, लेकिन पुरुष महिला के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकता क्योंकि हमारे कानून में उसके लिए कोई उपाय नहीं है। कानून केवल महिला को ही पीड़ित मानता है। हमारे समाज में यह मान लिया गया है कि सिर्फ मर्द ही औरत के साथ जबरदस्ती कर सकता है. जबकि वर्तमान माहौल में यह प्रावधान जेंडर न्यूट्रल हो सकता है।

कुशल निर्देशन

फिल्म “हाय ज़िंदगी” मे निर्देशक अजय राम ने एक बेहद संवेदनशील मुद्दे को बड़ी निडरता और बेबाकी से उठाया है और इसे प्रभावी रूप से सिनेमा में चित्रित किया है। उन्होंने सभी कलाकारों विशेषकर चार लड़कियों और गौरव सिंह से बेहतरीन अभिनय करवाया है. कहीं कहीं बिना किसी डायलॉग के बैकग्राउंड म्युज़िक के सहारे कुछ दृश्य बहुत ही प्रभावी हैं जो डायरेक्टर के काम को एक अलग स्तर पर ले जाते हैं.

दमदार अभिनय

फिल्म हाय जिंदगी मे प्रमुख कलाकारों गौरव सिंह, गरिमा सिंह, आयुशी तिवारी, सोमी श्री, दीपांशी और ऋषभ शर्मा ने अच्छा काम किया है. गौरव सिंह को वरुण के किरदार में कई प्रकार की भावनाओं को प्रस्तुत करने का मौका मिला है जिसे उन्होंने बखूबी अंजाम दिया है. पलक के रोल के साथ गरिमा सिंह ने न्याय किया है. मेघा के किरदार में आयुषी तिवारी ने भी गहरी छाप छोड़ी है.

गीत संगीत

फिल्म तकनीकी पहलुओं में भी बेहतर है. इसका बैकग्राउंड म्युज़िक अच्छा है. दानिश अली, आदित्य राज शर्मा, प्रतीक लाल जी और उमर शेख द्वारा कंपोज किए गए गाने सिचुएशन के अनुसार हैं. गीतकार जमील अहमद, आदित्य राज शर्मा और राज कुमारी शर्मा ने स्टोरी और किरदारों को ध्यान में रखते हुए गाने के बोल लिखे हैं.

फिल्म हाय जिंदगी आपको देखनी चाहिए. सबसे हटकर कहानी, जानदार निर्देशन, शानदार संवाद और कलाकारों की अद्भुत अदायगी ने इसे देखने लायक सिनेमा बना दिया है.

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