क्या अंडा खाने से होता है कैंसर? FSSAI ने दावे की बताई सच्चाई…पढ़ें पूरी रिपोर्ट

नई दिल्ली । आज के डिजिटल दौर में सूचनाओं का प्रसार जितनी तेजी से होता है, उतनी ही तेजी से भ्रामक जानकारियां भी फैलती हैं। हाल के दिनों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कुछ ऐसी वीडियो रील्स और रिपोर्ट्स वायरल हुई हैं, जिनमें दावा किया गया है कि अंडे खाने से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा हो सकता है। इन दावों ने उन लाखों लोगों को चिंता में डाल दिया है जो अंडे को अपने दैनिक आहार का एक अनिवार्य हिस्सा और प्रोटीन का मुख्य स्रोत मानते हैं। हालांकि, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने अब इन दावों पर विराम लगाते हुए स्थिति स्पष्ट कर दी है। देश की शीर्ष खाद्य नियामक संस्था ने इन भ्रामक खबरों को पूरी तरह से खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि भारत में बिकने वाले अंडे खाने के लिए पूरी तरह सुरक्षित हैं और सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावों का कोई भी ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं है।

अथॉरिटी ने इस बात को विस्तार से समझाया कि भारतीय बाजार में उपलब्ध अंडों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कड़े नियमों का पालन किया जाता है। सोशल मीडिया पर वायरल हुई कुछ रिपोर्ट्स में यह भी आरोप लगाया गया था कि मुर्गियों को दिए जाने वाले चारे और दवाइयों में खतरनाक एंटीबायोटिक्स मौजूद होते हैं, जो अंडों के जरिए इंसानी शरीर में पहुंचकर कैंसर का कारण बनते हैं। इस पर रेगुलेटर ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि ये रिपोर्ट वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। भारत में मुर्गी पालन और अंडा उत्पादन के दौरान किसी भी प्रतिबंधित एंटीबायोटिक्स के उपयोग पर पहले से ही सख्त पाबंदी लागू है। ऐसी अफवाहें केवल जनता के बीच अनावश्यक भय पैदा करने और उन्हें गुमराह करने के उद्देश्य से फैलाई जा रही हैं।

विशेष रूप से अंडों में नाइट्रोफ्यूरान मेटाबोलाइट्स नामक तत्व के मिलने की खबरों पर संस्था ने तकनीकी स्थिति साफ की है। भारत के खाद्य सुरक्षा नियमों के तहत पोल्ट्री फार्मिंग में नाइट्रोफ्यूरान के इस्तेमाल की बिल्कुल अनुमति नहीं है। संस्था ने स्पष्ट किया कि यदि प्रयोगशाला में जांच के दौरान कहीं बहुत ही मामूली मात्रा में इसके अवशेष (ट्रेस मार्कर रेजिड्यूज) मिलते भी हैं, तो उसका अर्थ यह कतई नहीं है कि अंडा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। प्राधिकरण के अनुसार जो सीमा तय की गई है, वह केवल जांच की संवेदनशीलता और शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए एक मानक मात्र है। इससे कम मात्रा मिलने पर इसे खाद्य सुरक्षा नियमों का उल्लंघन नहीं माना जाता और न ही यह किसी स्वास्थ्य जोखिम का संकेत है।

भारत में अंडों की गुणवत्ता और सुरक्षा के लिए तय किए गए मानक अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं। यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी नाइट्रोफ्यूरान पर उसी तरह के प्रतिबंध हैं जैसे भारत में हैं। अलग-अलग देशों में जांच के तरीकों के कारण आंकड़ों में मामूली अंतर हो सकता है, लेकिन सुरक्षा के मूल सिद्धांतों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाता है। इसके अतिरिक्त, बाजार में मौजूद कुछ विशिष्ट ब्रांडों के अंडों को लेकर आई नकारात्मक रिपोर्टों पर भी रेगुलेटर ने स्पष्ट किया कि ऐसी घटनाएं अत्यंत दुर्लभ होती हैं और किसी विशेष बैच या मुर्गियों के चारे में आकस्मिक मिलावट के कारण हो सकती हैं, जिसे पूरी इंडस्ट्री की कमी नहीं माना जा सकता।

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