अरावली पर क्यों पलटना पड़ा सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला, जानिए इसके पीछे की बड़ी वजह

नई दिल्ली:  अरावली मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा दखल देते हुए अपने ही निष्कर्षों पर को स्थगित कर दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि फिलहाल उन्हें लागू नहीं किया जाएगा. शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों और अपनी ही आदेश पर रोक लगा दी है. SC अब पर्यावरण विशेषज्ञों का नया पैनल बनाएगा जो पूरे रिपोर्ट का विश्लेषण करेगा. शीर्ष अदालत ने विशेषज्ञ समिति के निष्कर्षों पर स्पष्टीकरण मांगते हुए, केंद्र और 4 अरावली राज्यों- दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात को नोटिस जारी किया है. CJI ने कहा कि हम निर्देश देते हैं कि समिति की सिफारिशें और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के निष्कर्ष तब तक स्थगित रहेंगे मामले की सुनवाई 21 जनवरी, 2026 को होगी.

कोर्ट की अहम टिप्पणी 

कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट लागू होने से पहले या इस कोर्ट के फैसले को लागू करने से पहले मार्गदर्शन देने के लिए एक निष्पक्ष स्वतंत्र प्रक्रिया की जरूरत है, जिसमें इन बातों पर विचार किया जाए: 

अरावली पर वो 5 सवाल 

  •  क्या अरावली की परिभाषा को 500 मीटर एरिया तक सीमित करने से एक स्ट्रक्चरल विरोधाभास पैदा होता है, जहां संरक्षण क्षेत्र छोटा हो जाता है? 
  • क्या इससे गैर-अरावली क्षेत्र का दायरा बढ़ा है जहां रेगुलेटेड माइनिंग की जा सकती है?
  • क्या 100 मीटर और उससे ज्यादा के दो एरिया के बीच के गैप में रेगुलेटेड माइनिंग की अनुमति दी जाएगी और उनके बीच 700 मीटर के गैप का क्या होगा?
  • कैसे सुनिश्चित किया जाए कि इकोलॉजिकल निरंतरता बनी रहे?
  • अगर कोई महत्वपूर्ण रेगुलेटरी कमी पाई जाती है, तो क्या रेंज की स्ट्रक्चरल अखंडता बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण मूल्यांकन की आवश्यकता होगी? 

विशेषज्ञों का पैनल बनेगा

CJI  सूर्यकांत ने कहा है. हम प्रस्ताव देते हैं कि विशेषज्ञ समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का विश्लेषण करने के लिए डोमेन विशेषज्ञों की एक उच्च-शक्ति वाली विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए.

20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट को किया था स्वीकार

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत बनी समिति की सिफारिशों को सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर 2025 को स्वीकार कर लिया था. इसके मुताबिक..

-अरावली पहाड़ियां: ऐसी कोई भी जमीन जिसकी ऊंचाई स्थानीय भू-भाग (जमीन) से 100 मीटर या उससे अधिक हो.
-अरावली रेंज (पर्वतमाला): यदि दो या उससे अधिक ऐसी पहाड़ियां 500 मीटर के दायरे में हैं, तो उन्हें एक ही पहाड़ियों का समूह माना जाएगा.
-इन पहाड़ियों और रेंज के भीतर आने वाले सभी लैंडफॉर्म, उनकी ऊंचाई या ढलान चाहे जो हो, खनन से बाहर रहेंगे.

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